हिमाचल किसान संयुक्त मंच अपनी मांगों को लेकर करेगा प्रदर्शन
किसानों व बागवानों के मुद्दों को लेकर विभिन्न किसान संगठनों की साथ हुई बैठक
शिमला, 30 अगस्त। हिमाचल किसान संयुक्त मंच 13 सितंबर को प्रदेश में तहसील, ब्लाक व उपमंडल मुख्यालयों में अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन करेगा। प्रदर्शन में प्रदेश के विभिन्न किसान संगठनों के सदस्य शामिल होंगे। 13 सितंबर को प्रदर्शन के बावजूद सरकार द्वारा मांगों को लेकर कोई फैसला न लिए जाने की स्थिति में मंच 26 सितंबर को दोबारा प्रदेश भर में प्रदर्शन करेगा।
प्रदेश में किसानों व बागवानों के मुद्दों को लेकर आज शिमला में विभिन्न किसान संगठनों की बैठक हुई। बैठक में किसानों , बागवानों की मांगों को उठाने के लिए हिमाचल किसान संयुक्त मंच का गठन किया गया। शिमला में हुई बैठक में हरीश चौहान, संजय चौहान, दीपक सिंघा, कुलदीप तंवर, केएन शर्मा, राजेश चौहान, राजेंद्र चौहान, सुशीला चौहान, डिंपल पांजटा, सत्यवान पुंडीर, सोहन ठाकुर, संदीप मस्ताना, एसएस जोगटा, जिला परिषद सदस्य विशाल शांगटा, पूर्व जिला परिषद सदस्य नीलम सरेक, हरीश जनार्था के अलावा कांग्रेस विधायक विक्रमादित्य सिंह व माकपा विधायक राकेश सिंघा भी उपस्थित हुए। बैठक में 13 सितंबर को विरोध प्रदर्शन करने का फैसला आम सहमति से लिया गया।
मंच के संयोजक हरीश चौहान ने बताया कि प्रदेश में लगभग 89 प्रतिशत जनता गांव में रहती है। इसमें अधिकांश का रोजगार व आजीविका का मुख्य स्रोत कृषि व बागवानी ही है। आज देश मे कृषि के संकट के चलते प्रदेश के किसानों व बागवानों का संकट भी बढ़ रहा है। खेती में उत्पादन लागत बढ़ रही है और किसानों व बागवानों को उनके उत्पाद का उचित दाम प्राप्त नहीं हो रहा है जिससे इनके रोजगार व आजीविका का संकट और अधिक बढ़ रहा है। मौजूदा व्यवस्था में किसानों व बागवानों के उत्पाद की कॉरपोरेट व बागवानी क्षेत्र का संकट और अधिक गहरा हो गया है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में सेब की आर्थिकी 5 हजार करोड़ की है। सेब की आर्थिकी को संभालने में एपीएमसी कामयाब नहीं हो सकी है। मंडियों में किसानों , बागवानों को उचित मूल्य नहीं मिल रहा। एपीएमसी की लचर व्यवस्था की वजह से किसानों व बागवानों को समय पर उनके उत्पादों का भुगतान भी नहीं हो रहा। उन्होंने कहा कि मंडियों में सेब के दाम गिर रहे हैं। मगर बागवानी मंत्री नदारद हैं। लिहाजा मु यमंत्री को उन्हें पद से हटा कर किसी जि मेवार मंत्री को बागवानी विभाग का दायित्व सौंपना चाहिए।
उन्होंने कहा कि प्रदेश की मंडियों में किसानों का शोषण बंद कर ज मू कश्मीर की तर्ज पर ही यहां भी ए , बी व सी ग्रेड का सेब खरीदा जाए। मंडियों में एपीएमसी कानून को स ती से लागू किया जाए। किसानों से गैर कानूनी तौर पर की जा रही वसूली को बंद किया जाए। किसानों व बागवानों को उनके उत्पादों का समय पर भुगतान की व्यवस्था की जाए। कार्टन व ट्रे की कीमतों में की गई बढ़ोतरी को वापस लिया जाए। माल भाड़े में की गई बढ़ोतरी को वापस लेने की मांग भी संयुक्त मंच ने की है।