हिमाचल में बाढ़ व सूखे से अभी तक 645 करोड़ रुपए का नुकसान
बाढ़ और भूस्खलन से अब तक 214 की मौत, 11 लापता
सरकार ने प्राकृतिक आपदा से हुए नुकसान की रिपोर्ट केंद्र को भेजी : महेंद्र सिंह
शिमला, 4 अगस्त। हिमाचल प्रदेश में इस साल बेमौसमी बर्फबारी, वर्षा और सूखे से अब तक कृषि व बागवानी को 645 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हो चुका है। प्रदेश सरकार ने इस नुकसान की विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर केंद्र सरकार को मदद के लिए भेजी है। यह बात राजस्व मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने आज विधानसभा में नियम-130 के तहत लाए गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जवाब में कही। यह प्रस्ताव कांग्रेस के इंद्रदत्त लखनपाल, भाजपा के विशाल नैहरिया, बलवीर वर्मा और जिया लाल ने सदन में पेश किया था। उन्होंने कहा कि प्रदेश में भारी बरसात, बाढ़ और भूस्खलन की घटनाओं में 13 जून से 3 अगस्त तक 214 लोगों की जान जा चुकी है और 11 लोग अभी तक लापता हैं।
राजस्व मंत्री ने कहा कि भूस्खलन और बाढ़ की घटनाओं में अब तक 432 पशु मारे गए हैं तथा 1152 कच्चे और पक्के घर तथा गऊशालाएं भी नष्ट हुई हैं। उन्होंने कहा कि भारी वर्षा, बाढ़ और भूस्खलन से सड़कों और पुलों को 451 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। इसी तरह पेयजल और सिंचाई योजनाओं को भी 187 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हो चुका है। उन्होंने कहा कि सरकार ने इस नुकसान की भरपाई के लिए अपने स्तर पर यथासंभव कदम उठाए हैं।
महेंद्र सिंह ठाकुर ने हिंदुस्तान-तिब्बत मार्ग को देश की सुरक्षा के लिए अत्याधिक महत्वपूर्ण करार देते हुए कहा कि रामपुर से आगे किन्नौर की ओर इस मार्ग के स्थान पर तुरंत वैकल्पिक मार्ग की जरूरत है, ताकि एक सड़क के बंद होने पर दूसरी सड़क चलती रहे। उन्होंने कहा कि वह यह मामला मुख्यमंत्री से उठाएंगे, ताकि किन्नौर होते हुए चीन-तिब्बत सीमा तक वैकल्पिक सड़क बनाने पर विचार किया जा सके।
राजस्व मंत्री ने कहा कि लाहौल घाटी में बादल फटने और बाढ़ की घटनाओं की घटना से प्रभावित लोगों की मदद के लिए सरकार हर संभव कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में लोक निर्माण और जलशक्ति विभाग के मजदूरों की छुट्टियां बरसात के दौरान रद्द कर दी गई हैं, ताकि बंद सड़कों को युद्ध स्तर पर खोला जा सके। उन्होंने कहा कि सरकार एसडीआरएफ और एनडीआरएफ के तहत आरक्षित धनराशि में से कुछ हिस्सा विधायकों की सिफारिश पर खर्च करने का प्रावधान करने पर विचार करेगी।
महेंद्र सिंह ने कहा कि सरकार प्रदेश के छोटे-बड़े नदी-नालों के तटीकरण के लिए मास्टर प्लान के तहत कार्य कर रही है। इसके लिए प्रदेश को तीन जोन में विभाजित किया गया है और लगभग 5 हजार करोड़ रुपए के तटीकरण के प्रोजेक्ट केंद्र सरकार के पास लंबित हैं।
इससे पूर्व, कांग्रेस सदस्य इंद्रदत्त लखनपाल ने प्रस्ताव पेश करते हुए नदियों, खड्डों और नालों के तटीकरण को प्राथमिकता के आधार पर करने की मांग की ताकि इनके किनारे स्थित कृषि योग्य भूमि को बचाया जा सके। उन्होंने एमएसपी को एक्ट बनाकर प्रदेश में लागू करने की भी मांग की। विधायक बलवीर वर्मा ने हर विधानसभा क्षेत्र में बाढ़ राहत के लिए अलग से धनराशि का प्रावधान करने का सुझाव दिया, जबकि जगत सिंह नेगी ने किन्नौर के बटसेरी में भूस्खलन हादसे में नौ लोगों की मौत का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि इस हादसे के लिए जिम्मेदार कर्मचारियों और अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। नेगी ने आपदा प्रबंधन कमेटियों में विधायकों को भी शामिल करने की मांग की। मोहन लाल ब्राक्टा ने किसानों और बागवानों को वास्तविक नुकसान के हिसाब से मुआवजा देने का मुद्दा उठाया। विधायक विशाल नैहरिया, जिया लाल, पवन काजल, लखविंद्र राणा, राजेंद्र राणा, राकेश सिंघा और अरूण कुमार ने भी चर्चा में हिस्सा लिया।