हिमाचल में 16 जून से 15 अगस्त तक किसी भी प्रकार के मछली शिकार पर पूर्ण प्रतिबंध
शिमला, 15 जून। हिमाचल प्रदेश के जलाश्यों एवं सामान्य नदी नालों व इनकी सहायक नदियों में 12 हजार से अधिक मछुआरे मछली पकड़ कर अपनी रोजी रोटी कमाने में लगे हैं। वर्तमान में प्रदेश के 5 जलाश्यों गोबिंदसागर, पौंग, चमेरा, कोलडैम एवं रणजीत सागर जिनका क्षेत्रफल 43785 हैक्टेयर के करीब है में 5300 से अधिक मछुआरे मछली पकड़ने का कार्य कर रहे हैं, जबकि प्रदेश के सामान्य जलों, ट्राऊट जलों के अतिरिक्त जिनकी लंबाई 2400 कि.मी. के लगभग है में 6000 से अधिक मछुआरे फैंकवां जाल के साथ मछली पकड़ने के कार्य में लगे हैं। इन सभी मछुआरा परिवारों को निरंतर मछली मिलती रहे तथा लोगों को प्रोटीनयुक्त प्राणी आहार मछली के रूप में मिलता रहे, इसका दायित्व हिमाचल प्रदेश मत्स्य पालन विभाग का है।
निदेशक एवं प्रारक्षी मत्स्य सतपाल मैहता ने बताया है कि मत्स्य विभाग इस चुनौती के समाधान के लिए प्रतिवर्ष सामान्य जलों में दो माह के लिए मछली पकड़ने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाता है क्योंकि इस अवधि में अधिकतर महत्वपूर्ण प्रजातियों की मछलियां प्राकृतिक प्रजनन करती हैं जिससे इन जलों मे स्वतः मछली बीज संग्रहण हो जाता है। इस कार्य के लिए विभाग को मत्स्य धन संरक्षण का कार्य बड़ी तत्परता से करना पड़ता है। प्रदेश के जलाश्यों में मत्स्य धन संरक्षण हेतु विशेष कर्मचारी बल तैनात कर कैम्प लगाये जाते हैं। इस वर्ष बिलासपुर में कुल 22 कैम्प (गोविन्द सागर में 19 तथा कोल डैम में 3 कैम्प) और 1 उड़न दस्ता का गठन, पौंग डैम में कुल 17 कैम्प और 1 उड़न दस्ता का गठन और चम्बा में कुल 3 कैम्प और 1 उड़न दस्ता का गठन किया है जिससे ये कर्मचारी जल एवं सड़क, दोनों मार्गो से गश्त कर मत्स्य धन की सुरक्षा करते हैं।
उन्होंने बताया कि पहले बंद सीजन 1 जून से 31 जुलाई तक होता था परन्तु 22 मई 2020 से हिमाचल प्रदेश मत्स्य नियम 2020 लागू होने से इस बार विभाग द्वारा 16 जून से 15 अगस्त 2021 तक बन्द सीजन का कार्यान्वयन किया जा रहा है। इस अवधि में प्रदेश के सामान्य जलों में किसी भी प्रकार के मछली शिकार व बिक्री पर पूर्णतः प्रतिबंध रहेगा।