गुड़िया मामले में दोषी की सजा पर सुनवाई 3 जून तक टली
शिमला। बहुचर्चित गुड़िया दुष्कर्म व हत्याकांड मामले में नीलू नामक लकड़हारे की सजा पर सुनवाई 3 जून तक टल गई है। कोरोना कर्फ्यू की बंदिशों के चलते सीबीआई की विशेष अदालत में आज दोषी को अदालत में पेश नहीं किया जा सका तथा विशेष न्यायाधीश राजीव भारद्वाज ने सजा पर सुनवाई के लिए 3 जून की तिथि निर्धारित की है। ये तीसरा मौका है, जब अदालत ने सुनवाई की तिथि को आगे बढ़ाया है। विगत 28 अप्रैल को सीबीआई की विशेष अदालत ने भारतीय दंड संहिता और बच्चों के यौन अपराध से संरक्षण कानून की विभिन्न धाराओं के तहत नीलू को दुष्कर्म और हत्या का दोषी करार दिया था।
उल्लेखनीय है कि अप्पर शिमला के कोटखाई थाना क्षेत्र में यह जघन्य वारदात जुलाई 2017 को हुई थी। 4 जुलाई, 2017 को एक छात्रा स्कूल से लौटते समय लापता हो गई थी। 6 जुलाई 2017 को कोटखाई के तांदी के जंगल में पीड़िता का शव मिला। जांच में पाया गया कि छात्रा की दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई थी। छात्रा को बड़ी बर्बरता से मौत के घाट उतारा गया था।
किशोरी के साथ दरिंदगी की इस वारदात के खिलाफ जबरदस्त जनाक्रोश देखने को मिला था। लोगों ने तब इस मामले में कड़ी कार्रवाई की मांग को लेकर सड़क पर उतरकर आंदोलन किया था। छानबीन के बाद पुलिस ने 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया था। इनमें एक आरोपी सूरज की लॉकअप में हत्या कर दी गई। आक्रोशित लोगों का पुलिस पर गुस्सा फूटा और भीड़ ने कोटखाई थाने को आग के हवाले कर दिया था। प्रदेश हाईकोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई के सुपुर्द कर दी। सीबीआई ने गुड़िया रेप-मर्डर और सूरज हत्याकांड में दो अलग-अलग मामले दर्ज किए। सीबीआई ने सूरज हत्याकांड में आईजी जैदी सहित नौ पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों को गिरफ्तार किया था। बाद में इस मामले में एक नया मोड़ आया और इन सभी आरोपियों को जेल से रिहा कर दिया गया।
सीबीआई ने डीएनए परीक्षण के आधार पर अप्रैल 2018 को नीलू नामक लकड़हारे को गिरफ्तार किया था। सीबीआई ने मामले की जांच के दौरान कोटखाई और आसपास के गांवों के सैकड़ों लोगों से पूछताछ की थी तथा बड़ी संख्या में लकड़हारों के खून के नमूनों भी लिए गए थे। इस मामले में सीबीआई ने 55 गवाहों के बयान दर्ज किए।