चिंतपूर्णी में नवरात्र मेलों के दौरान हवन, पूजन पर प्रतिबंध, प्रसाद चढ़ाने पर भी रोक
दर्शन के लिए पर्ची अनिवार्य, मंदिर में पुजारी नहीं बांधेंगे मौली
शिमला, 8 अप्रैल। नवरात्रों के दौरान माता चिंतपूर्णी मंदिर सुबह 5 बजे से रात्रि 10 बजे तक खुला रहेगा और श्रद्धालुओं को केवल दर्शनों की अनुमति होगी जिसके लिए दर्शन पर्ची का होना अनिवार्य है । हवन, यज्ञ, कन्या पूजन, कीर्तन, सत्संग, भागवत, मुंडन संस्कार सहित ढोल-नगाड़ों के प्रयोग और भीड़ के एकत्रित होने पर पूर्ण प्रतिबंध होगा। 13 से 21 अप्रैल तक चलने वाले चैत्र नवरात्रों के दौरान कोविड संक्रमण की रोकथाम के लिए एसओपी जारी करते हुए उपायुक्त ऊना राघव शर्मा ने आज बताया कि मंदिर क्षेत्र में चिह्नित स्थानों पर श्रद्धालुओं की कोविड-19 लक्षणों के लिए स्क्रीनिंग की जाएगी। सड़कों के किनारे और धर्मशालाओं के अंदर व बाहर किसी भी प्रकार के सामुदयिक रसोई या लंगर की अनुमति नहीं होगी। मंदिर क्षेत्र में अस्थाई दुकानों व अस्थाई पार्किंग भी प्रतिबंधित रहेगी ताकि श्रद्धालुओं की भीड़ एकत्रित न हो।
उन्होंने श्रद्धालुओं का आहवान किया कि कोविड-19 सुरक्षा नियमों जैसे मास्क पहनना, निधारित सामाजिक दूरी, हाथों को धोना सहित अन्य सुरक्षा उपायों की सख्ती से अनुपालना सुनिश्चित करें और दर्शनों के लिए जाते वक्त पंक्ति में हर समय दो गज की दूरी बनाए रखें। मंदिर परिसर में प्रवेश से पूर्व हाथों व पैरों को साबुन व पानी से अवश्य धोएं। इसके लिए जगदम्बा ढाबा, मंगत राम की दुकान तथा पुराना बस अड्डा पर व्यवस्था होगी। उन्होंने बताया कि मंदिर में मूर्तियों, प्रतिमाओं व पवित्र पुस्तकों को छूने की मनाही होगी तथा नारियल का प्रसाद चढ़ाने पर भी प्रतिबंध रहेगा जबकि चुनरी व झंडे केवल चिह्नित स्थलों पर चढ़ाए जा सकते हैं। उन्होंने 10 वर्ष से कम उम्र के बच्चों, 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों सहित गंभीर बीमारियों से पीड़ित व गर्भवती महिलाओं को मंदिर में न आने की सलाह दी है।
पुजारियों के लिए एसओपी
राघव शर्मा ने कहा है कि पुजारी श्रद्धालुओं को न तो प्रसाद वितरित करेंगे और न ही मौली बांधेंगे। पुजारियों को भी कोरोना संक्रमण रोकथाम के लिए निर्धारित हिदायतों की अनुपालना सुनिश्चित करनी होगी। गर्भगृह में एक समय पर केवल दो बारीदारों को ही बैठने की अनुमति रहेगी।