हिमाचल हाई कोर्ट का परवाणू शिमला फोरलेन निर्माण कार्य में कोताही पर कड़ा संज्ञान
शिमला, 29 अगस्त।
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने परवाणू शिमला फोरलेन निर्माण कार्य में कोताही पर कड़ा संज्ञान लिया है। कोर्ट ने एनएचएआई को आदेश दिए हैं कि वह परवाणू से सोलन और सोलन से कैथलीघाट तक कार्य कर रहे ठेकेदारों का विवरण दें ताकि यह पता लगाया जा सके कि ऐसे ठेकेदारों को काम देने के लिए क्या कोई सांठगांठ है जो पर्याप्त सेवा प्रदान करने में स्पष्ट रूप से अक्षम हैं।
मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायाधीश रंजन शर्मा की खंडपीठ ने एनएचएआई के क्षेत्रीय अधिकारी को अगली सुनवाई की तारीख पर कोर्ट में उपस्थित होने और एक व्यापक योजना प्रस्तुत करने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने आदेश दिए हैं कि योजनाए यह स्पष्ट हो कि कम से कम इस राजमार्ग का रखरखाव कैसे किया जाए। कोर्ट ने फोरलेन के रखरखाव में कोताही पर चेतावनी देते हुए कहा कि एनएचएआई द्वारा यदि राजमार्ग का रखरखाव नहीं किया जाता है, तो सनवारा में टोल टैक्स बंद करने के संबंध में ऐसे ही आदेश पारित किए जाएंगे जैसे सर्वोच्च न्यायालय ने विशेष अनुमति याचिका (सी) संख्या 22579/2025, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण एवं अन्य बनाम केरल उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार रखते हुए किए है। इस आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि सड़क का रखरखाव न होने पर टूटी फूटी सड़क के लिए टोल वसूलना अन्याय पूर्ण है। कोर्ट ने एनएचएआई द्वारा सनवारा में एकत्रित टोल टैक्स का विवरण भी मांगा है। मामले की सुनवाई 18.09.2025 को निर्धारित की गई है। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि चक्की
मौड़ पर जुलाई/अगस्त, 2025 के महीने में सड़क तीन से अधिक बार बंद हो चुकी है और दो-तरफ़ा सड़क को एक-तरफ़ा कर दिया गया है जिससे दोनों ओर पाँच किलोमीटर तक लंबा ट्रैफ़िक जाम लग जाता है, जिससे न केवल आम जनता को असुविधा होती है, बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ता है, खासकर यह देखते हुए कि सेब का मौसम चल रहा है और ट्रकों को मैदानी इलाकों में जाना पड़ता है। यह भी एक तथ्य है कि सभी किसानों को अपना माल रोज़ाना मैदानी इलाकों में भेजना पड़ता है और यातायात के किसी भी तरह के ठहराव से माल के नष्ट होने का खतरा बढ़ जाता है क्योंकि यह जल्दी खराब हो जाता है। कोर्ट ने कहा कि इससे जाहिर है एनएचएआई के अधिकारी इस प्रीमियम राजमार्ग के रखरखाव पर भी ध्यान नहीं दे रहे हैं। इस बात पर कोई विवाद नहीं है कि उक्त राजमार्ग निर्माणाधीन है और इसका नवीनीकरण लंबे समय से चल रहा है और जनहित याचिका 2017 से लंबित है। कोर्ट ने सलोगड़ा के पास बन रहे पुल पर भी संज्ञान लेते हुए कहा कि एक और परेशान करने वाला तथ्य अपोलो टायर्स, सलोग्रा पियर P-1 के पास किलोमीटर 109+600 पर प्रमुख पुल के निर्माण के संबंध में है, जिसकी ऊँचाई 77.280 मीटर बताई गई है। स्पष्टतः, उक्त पुल को स्थिरता और भार वहन क्षमता के आवश्यक मानदंडों को पूरा करने में अपर्याप्त पाया गया है। इसकी योजना के अनुमोदन के बाद इसमें सुधार किया जाना था। इस प्रकार, उक्त अधिकारी को पुल के इन खंभों को ऊपर उठाने पर खर्च की गई राशि का विवरण भी देना होगा और यह भी बताना होगा कि क्या इनका उपयोग किया जाएगा या इन्हें छोड़ दिया जाएगा और क्या ठेकेदार के खिलाफ कोई कार्रवाई प्रस्तावित है।