हिमाचल में ब्लैक फंगस के इलाज के लिए प्रोटोकॉल तैयार

हिमाचल में ब्लैक फंगस के इलाज के लिए प्रोटोकॉल तैयार

शिमला, 24 मई। हिमाचल प्रदेश में कोविड नैदानिक समिति ने म्यूकॉरमायकोसिस यानी ब्लैक फंगस के उपचार के लिए विस्तृत प्रोटोकॉल तैयार किया है। स्वास्थ्य विभाग के एक प्रवक्ता ने आज शिमला में बताया कि यह एक फंगल रोग है जो आमतौर पर मानव शरीर के नाक, आंख और मस्तिष्क क्षेत्र को प्रभावित करता है। महामारी के दौरान ब्लैक फंगस रोग के बढ़ने का कारण कोविड-19 संक्रमण से मधुमेह बिगड़ने की प्रवृत्ति होती है, रोगियों में नए मधुमेह का विकास होता है और कभी-कभी श्वेत रक्त कोशिकाओं की कमी हो जाती है। इसके अलावा, कोविड-19 मरीजों के उपचार में उपयोग किए जा रहे स्टेरायड जैसे इम्यूनोसप्रेसिव उपचार से भी इम्यूनिटी में कमी आती है।

उन्होंने बताया कि इस संक्रमण के लिए व्यक्ति को मुख्य तौर पर जिन लक्षणों के बारे में सतर्क रहने की आवश्यकता है उनमें सिरदर्द, नाक में लगातार रुकावट बनी रहना, दवाओं का कोई असर नहीं होना, नाक का बहना, दर्द या चेहरे पर सनसनी, त्वचा का मलिनकिरण, दांतों का ढीला होना, तालू का अल्सर या नाक गुहा और साइनोसाइटिस में ब्लैक नेक्रोटिक एस्चर आदि शामिल हैं। ब्लैक फंगस रोग आंखों को भी प्रभावित करता है, जिसके परिणामस्वरूप आंखों में सूजन और लाली, दोहरा दिखाई देना, नजर कमजोर होना, आंखों में दर्द आदि हो सकता हैं।

उन्होंने बताया कि जो मरीज ऑक्सीजन थेरेपी पर हैं या ह्यूमिडिफायर का उपयोग कर रहे हैं, उन्हें ह्यूमिडिफायर के लिए स्वच्छ और उबले हुए पानी का उपयोग सुनिश्चित करना चाहिए। मिनरल वाटर का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए। ह्यूमिडिफायर के पानी को प्रतिदिन बदलना चाहिए। उन्होंने आग्रह किया कि लोगों को ब्लैक फंगस के सभी लक्षणों के संबंध में सतर्क रहना चाहिए ताकि समय पर उपचार हो सके।