एफसीए और एफआरए पर सर्वाच्च न्यायालय का फैसला
शिमला, 16 फरवरी। हिमाचल प्रदेश में एफसीए और एफआरए के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा लिए गए फैसले के बाद प्रदेश में खासकर बड़ी सड़कों के निर्माण के मामले में फिर से तेजी आने के दरवाजे खुल गए हैं। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद राज्य में 3000 करोड़ रुपए से अधिक की विकास परियोजनाओं पर काम शुरू हो सकेगा। इनमें 104 किलोमीटर लम्बा पांवटा साहिब-हाटकोटी ग्रीन कोरिडोर मार्ग और धर्मशाला-शिमला सड़क की डबल लेनिंग का कार्य शामिल है। पांवट-हाटकोटी ग्रीन कोरीडोर मार्ग पर जहां 1337 करोड़ रुपए खर्च होने हैं वहीं धर्मशाला-शिमला डबल लेन सड़क पर भी 61 करोड़ से अधिक की राशि खर्च होनी है। सुप्रीम कोर्ट ने एफसीए की अनुमति के 138 मामलों को हरी झंडी दी है। इन योजनाओं पर ही 2000 करोड़ रुपए से अधिक की राशि खर्च होगी। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से प्रदेश सरकार खासकर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर गदगद हैं क्योंकि इन बड़ी परियोजनाओं पर काम आरंभ होने से सरकार के पास कोरोना काल में भी उपलब्धियों के नाम पर गिनाने के लिए कुछ मामले हाथ लग जाएंगे। मुख्यमंत्री ने एफसीए और एफआरए के मामले में निर्देश देने के लिए सुप्रीम कोर्ट का आज आभार भी जताया।
मुख्यमंत्री ने आज शिमला में पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में कहा कि वन संरक्षण व वनाधिकार कानूनों को लेकर अनुमति न मिलने की वजह से प्रदेश में सैकड़ों प्रोजेक्टों का काम अटका पड़ा था। न्यायालय के आदेशों के बाद 605 प्रोजेक्टों पर कार्य शुरू होगा। ग्रीन कॉरिडोर सड़क के साथ साथ इनमें बिजली सब स्टेशनों, ट्रांसमिशन लाइनों का निर्माण, शिक्षा विभाग के 143 करोड़ के प्रोजेक्ट, धौला सिद्ध पावर प्रोजेक्ट व मंडी का शिवधाम भी शामिल है।
उन्होंने बताया कि न्यायालय के आदेशों के बाद वनाधिकार कानून की पेंच की वजह से अटके 465 प्रोजेक्टों पर भी कार्य आरंभ होगा। इनमें 330 सडक़ परियोजनाएं व 53 स्कूल, 18 पेयजल योजनाओं सहित कई अन्य विकास कार्य होने हैं। इन प्रोजेक्टों पर भी करोड़ों की रकम खर्च होनी है।
एक सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश को वन संरक्षण कानून के मामलों की अनुमति को लेकर देहरादून जाना पड़ता है। सरकार के आग्रह पर केंद्र शिमला में ही वन संरक्षण कानून से जुड़े मामलों की अनुमति के लिए कार्यालय खोलने को सैद्धांतिक तौर पर राजी है। उन्होंने कहा कि समय पर एफएसी व एफआरए की अनुमति न मिलने की वजह से प्रोजेक्टों की लागत बढ़ी है। न्यायालय के आदेशों के बाद जिन प्रोजेक्टों पर कार्य आरंभ होना है उनमें से कई ऐसे हैं जिनके टेंडर हो गए हैं। बाकियों के टेंडर जल्द किए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने मुख्य सचिव को प्रोजेक्टों का कार्य जल्द आरंभ करने को कहा है।
15वें वित्तायोग की सिफारिशें राहत भरी
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि 15 वें वित्तायोग की सिफारिशों के बाद बेशक राजस्व घाटा अनुदान में थोड़ी कटौती हुई है, बावजूद इसके आयोग की सिफारिशें प्रदेश के लिए राहत भरी हैं। जल्द ही नीति आयोग के साथ उनकी बैठक होने वाली है। लिहाजा वह प्रदेश की वित्तीय हालात को आयोग के समक्ष रख कर प्रदेश के प्रोजेक्टों का लिए वित्त पोषण का मामला उठाएंगे। उन्होंने कहा कि वित्तायोग ने मंडी में ग्रीन फील्ड हवाई अड्डा निर्माण के लिए एक हजार करोड़, कांगड़ा हवाई अड्डे के विस्तार के लिए 400 करोड़ व ज्वालामुखी मंदिर के सौंदर्यीकरण के लिए 20 करोड़ की रकम प्रदेश को देने के लिए केंद्र से सिफारिश की है।