हिमाचल प्रदेश में कोविड वैक्सीन की वेस्टेज शून्य प्रतिशत
शिमला, 9 मई। कठिन भौगोलिक परिस्थियों वाला पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश टीकाकरण में देशभर में अग्रणी है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सेवाओं (एनएफएचएस-5) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार हिमाचल प्रदेश में देश के सभी राज्यों में पूर्ण प्रतिरक्षण कवरेज सबसे ज्यादा है। कोरोना महामारी के दौरान भी प्रदेश ने कोविड टीकाकरण के साथ-साथ अपनी अन्य टीकाकरण गतिविधियों को भी जारी रखा है जो स्वास्थ्य विभाग की टीम के सामूहिक प्रयासों से सम्भव हुआ है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के मिशन निदेशक डा. निपुण जिंदल ने कहा कि प्रदेश में वैक्सीन की वेस्टेज माइनस 1.4 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि राज्य को अब तक कोरोना वैक्सीन की कुल 2119710 खुराकें मिली हैं जिनमें से 7 मई, 2021 तक 1986812 खुराकें लगाई जा चुकी हैं, जिसके लिए कुल 1958980 खुराकों का इस्तेमाल किया गया है। वर्तमान में प्रदेश के पास कोल्ड चेन में 160730 खुराकें उपलब्ध हैं।
उन्होंने कहा कि यह देखा गया है कि वैक्सीन की शीशियों में वैक्सीन की खुराक निर्धारित मात्रा से अधिक उपलब्ध होती है और प्रदेश सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि जितनी भी खुराकें उपलब्ध है, उसका पूरी तरह से उपयोग किया जा सके।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों के अनुसार सभी स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को इसके लिए प्रशिक्षित किया गया है, विशेष रूप से इसके लिए निर्धारित तापमान और वैक्सीन स्टॉक की निगरानी पर विशेष ध्यान दिया गया है। कोल्ड चेन केंद्रों में नये उपकरण स्थापित कर और पहले से मौजूद उपकरणों की सर्विर्सिज करके कोल्ड चेन प्रणाली को सुदृढ़ किया गया है। वैक्सीन को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने की हर जिले में वैक्सीन वैन की बेहतर व्यवस्था की गई है।
टीकाकरण केन्द्र के लिए टीकाकरण परिवहन और संचालन के कड़े दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए टीके का परिवहन वैक्सीन वैन में किया जाता है। टीके को एडी सीरिंज के माध्यम से लगाया जाता हैं। प्रदेश में टीका लगाने वाले स्वास्थ्य कर्मियों को टीके की वेस्टेज को ध्यान में रखते हुए टीका लगाने का प्रशिक्षण प्रदान किया गया है।
उन्होंने कहा कि शीशी को एक बार खोलने के बाद एक निश्चित समय सीमा के भीतर उसका उपयोग सुनिश्चित किया जाता है। यदि शीशी की खुराक निर्धारित समय सीमा में नहीं लगाई जाती है तो उसे फैकना पड़ता है। इसका अर्थ यह है कि दवाई का निपुणता से उपयोग सुनिश्चित करने के लिए उपयुक्त संख्या में लोग टीकाकरण के लिए तैयार हो। दवाई की वेस्टेज कम से कम हो इसके लिए संबंधित क्षेत्र के स्वास्थ्य कार्यकर्ता, आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता लोगों को टीकाकरण के लिए प्रेरित करते हैं ताकि कोविड टीकाकरण केन्द्रों में टीकाकरण की प्रक्रिया का निरन्तर संचालन हो सके। प्रदेश में जहां वैक्सीनेशन के वेस्टेज की संभावना हो सकती है उन सभी सम्भावित स्तरों पर विभाग योजनाबद्ध तरीके से निगरानी कर रहा है। इसके फलस्वरूप ही प्रदेश सरकार ने इन दवाइयों की खुराक को बचाने में सफलता हासिल की है और शून्य वेस्टेज के लक्ष्य को प्राप्त कर अधिकतम संख्या में लोगों का टीकाकरण करवाया।