शिमला, 1 अप्रैल। हिमाचल प्रदेश की राजधानी व पर्यटन नगरी शिमला भले ही रहने के लिहाज से देश भर के शहरों में नंबर वन है लेकिन देश के अन्य शहरों की तुलना में यहां रहना भी सबसे अधिक महंगा है। भले ही लोग पिछले एक साल से अधिक समय से कोरोना महामारी के कारण छाई मंदी के चलते आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं लेकिन हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में लोगों पर न तो सरकार और न ही स्थानीय नगर निगम रहम करने को तैयार है। यही कारण है कि मौजूदा कोरोना काल में जहां लोगों को मुश्किल से दो वक्त की रोटी जुटानी पड़ रही है वहीं शिमला शहर में नगर निगम ने आज से बिजली, पानी, शराब और कूड़ा उठाना और महंगा कर दिया है।
नगर निगम शिमला के क्षेत्र में आज से पानी और कूड़ा उठाने की दरों में दस प्रतिशत की वृद्धि लागू हो गई है। वहीं इसी महीने से शिमला शहर में बिजली भी दस पैसे प्रति यूनिट और महंगी हो जाएगी क्योंकि नगर निगम ने शहर में बिजली की प्रति यूनिट पर अपना कर दस पैसे से बढ़ाकर 20 पैसे कर दिया है। घर-घर से कूड़ा एकत्र करने के लिए अब प्रत्येक मकान मालिक अथवा किरायेदार को 97 रुपए चुकता करने होंगे। अभी तक ये दर 80 रुपए थी।
यही स्थिति शहर में बिकने वाली शराब की भी है। नगर निगम शिमला ने शहर मे बिकने वाली शराब पर प्रति बोतल अपना कर 2 रुपए से बढ़ाकर 5 रुपए प्रति बोतल कर दिया है। ऐसे में शहर में मदिरा के शौकीनों की भी जेब हल्की करने का नगर निगम ने प्रबंध कर दिया है। यानी शिमला वासियों पर आज से महंगाई की चौतरफा मार आरंभ हो गई है।
नगर निगम शिमला की दलील है कि बिजली, पानी, शराब और कूड़ा एकत्रीकरण दरों में वृद्धि से होने वाली आय को शहर के विकास पर खर्च किया जाएगा। नगर निगम का कहना है कि वैसे तो राजधानी शिमला में स्मार्ट सिटी मिशन और अम्रूत योजना के तहत बड़ी संख्या में विकास कार्य चल रहे हैं लेकिने ये विकास कार्य शहर के पराने क्षेत्रों तक ही सीमित हैं तथा निगम में नए मिलाए गए क्षेत्रों को इन योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है। ऐसे में नगर निगम द्वारा जुटाए जाने वाले करों से निगम में मिलाए गए क्षेत्रों का विकास तेजी से संभव हो पाएगा। स्मार्ट सिटी मिशन और अम्रूत योजना के तहत शिमला में पार्किंग, पार्क, पाथ, एम्बुलेंस रोड, सड़कों को चौड़ा करने, ओवर ब्रिज और इसी तरह के अन्य कार्य जोरों से चल रहे हैं।
करों में वृद्धि का माकपा करेगी विरोध
हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में नगर निगम द्वारा बिजली, पानी, गारबेज और शराब की दरों में की गई वृद्धि का वामपंथी दल माकपा ने विरोध किया है। माकपा नेता व नगर निगम शिमला के पूर्व महापौर संजय चौहान ने कहा है कि शहर की जनता पहले ही कोरोना के कारण छाई आर्थिक मंदी से जूझ रही है। ऐसे में निगम द्वारा मूलभूत सुविधाओं में करों पर की गई वृद्धि से लोगों का जीना और दुभर हो जाएगा। उन्होंने कहा कि बीते चार सालों में नगर निगम कूड़ा एकत्रीकरण की दरों में 100 प्रतिशत वृद्ध कर चुका है जबकि इस अवधि में पेयजल की दरों में 50 फीसदी की वृद्धि की गई है। उन्होंने कहा कि माकपा इस वृद्धि के खिलाफ आंदोलन करेगी।