हिमाचल के विशेष राज्य के दर्जे पर अग्निहोत्री ने उठाए सवाल

हिमाचल के विशेष राज्य के दर्जे पर अग्निहोत्री ने उठाए सवाल

शिमला, 24 मार्च। प्रतिपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री ने कहा है कि हिमाचल प्रदेश के विशेष राज्य के दर्जे बारे प्रदेश सरकार स्पष्ट करे कि क्या यह समाप्त हो गया है? उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने सदन में साफ तौर पर कहा है कि अब देश में कोई भी राज्य विशेष दर्जा प्राप्त राज्य नहीं रहा है। उन्होंने दलील दी कि प्रदेश सरकार को हकीकत जनता के दरबार में रखनी चाहिए। हाल के बजट सत्र के दौरान भाजपा विधायक लगातार दुहाई दे रहे थे की प्रधानमंत्री ने हिमाचल को विशेष दर्जा दिया ताकि 90:10 के आधार पर फंडिंग हो सके लेकिन अब केंद्रीय गृह राज्य मंत्री ने दो टूक कहा है कि 14वें आयोग के बाद अब कोई राज्य विशेष राज्य नहीं होगा।

अग्निहोत्री ने कहा कि फंडिंग पेट्रन बदले जाने की वजह से ही सरकार कर्जों पर आश्रित होती जा रही है और जयराम सरकार ने प्रदेश को आर्थिक दिवालियेपन की तरफ धकेला है। यही नहीं मौजूदा सरकार सबसे ज्यादा कर्जे उठाने वाली सरकार का खिताब हासिल करेगी। उन्होंने कहा कि केंद्रीय प्राजेक्ट्स में फंडिंग 90:10 के हिसाब से नहीं आ रहा है। हमीरपुर-ऊना रेल लाइन की मंजूरी इसलिए अटकी है क्योंकि फंडिंग फिफ्टी- फिफ्टी के हिसाब से मांगी जा रही है और प्रदेश सरकार ने इसे देने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि रेल और हवाई पट्टियां बनाना केंद्र का काम है लेकिन केंद्र मदद नहीं कर रहा, इसीलिए मंडी हवाई पट्टी के लिए भी राज्य बजट से धन निर्धारित करना पड़ रहा है। यही नहीं स्मार्ट सिटी प्राजेक्ट्स को भी विशेष राज्य के दर्जे के तहत पैसा नहीं मिल रहा। राष्ट्रीय राजमार्गों को तो पैसा ही नहीं दिया गया।

मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि केंद्र के इस व्यवहार की वजह से ही प्रदेश को कर्जा लेने की लिमिट बढ़ाने का कानून पास करना पड़ा। जबकि यह देनदारी केंद्र की थी और उसे कर्ज उठाकर राज्य को राशि मुहैया करवानी थी। उन्होंने कहा कि जयराम सरकार अपने अंत तक 35 हजार करोड़ के कर्जे उठा चुकी होगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार वित्तीय पैकेज भी नहीं जुटा पाई। फॉरेन फंडिंग प्राजेक्ट्स जिन्हें बीत्ते वर्ष बजट में आधार दिखाया था औंधे मुँह गिरे। जयराम सरकार वित्तीय कुप्रबंधन का शिकार हो गई है। अगले साल जुलाई से जीएसटी का पैसा मिलना भी बंद होगा। उन्होंने कहा कि सरकार कर्मचारियों के वेतन आयोग की सिफारिशें भी टाल रही है जबकि मुख्यमंत्री दो गज भी बिना हेलीकॉप्टर के नहीं चलते।