मुख्यमंत्री सेवा संकल्प हेल्पलाइन की समीक्षा बैठक

मुख्यमंत्री सेवा संकल्प हेल्पलाइन की समीक्षा बैठक

शिमला, 12 जनवरी। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने प्रदेश के अधिकारियों को लोगों की शिकायतों के शीघ्र निवारण के निर्देश दिए ताकि शिकायतों के निवारण में अनावश्यक रूप से देरी के कारण उन्हें किसी प्रकार की परेशानी न हों। वह आज शिमला में मुख्यमंत्री सेवा संकल्प हेल्पलाइन-1100 की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हेल्पलाइन-1100 शुरू होने के पश्चात इस पर 84 विभागों से संबंधित 789756 फोन कॉल आए जिनमें से 153970 शिकायतें, 13682 मांगें एवं सुझाव और 622104 जानकारी एवं फॉलो-अप कॉल्ज और अधिकारी हेल्पडेस्क पर 17946 फोन कॉल्ज प्राप्त हुए। शिकायतकर्ताओं की संतुष्टि के पश्चात 98132 शिकायतें बंद कर दी गईं।

जयराम ठाकुर ने कहा कि शिकायतों का उचित विश्लेषण किया जाना चाहिए, ताकि संबंधित विभाग शिकायतों के मुख्य कारण से संबंधित डेटा प्राप्त कर सकें। उन्होंने कहा कि इससे न केवल जनता की शिकायतों का निवारण होगा, बल्कि शिकायतकर्ता संतुष्ट भी होंगे। उन्होंने कहा कि कुल शिकायतों में से 81 प्रतिशत प्रदेश के 10 मुख्य विभागों जल शक्ति, लोक निर्माण विभाग, पंचायती राज, राजस्व, एचपीएसईबीएल, पुलिस, ग्रामीण विकास, एचआरटीसी, वन और शहरी विकास विभाग से संबंधित होती हैं। इसलिए इनके शीघ्र निवारण पर विशेष बल दिया जाना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हालांकि पिछले वर्ष की तुलना में शिकायतों के संतोषजनक निवारण की दर में वृद्धि हुई है, परंतु इसे और अधिक बढ़ाने के प्रयास किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि जल शक्ति विभाग की संतोषजनक क्लोज़र रिपोर्ट 72 प्रतिशत है, जो कि सबसे अधिक है, जबकि राज्य स्तर पर संतोषजनक क्लोजर प्रतिशत 64 प्रतिशत है।

मुख्यमंत्री ने एल 4 चरण में बड़ी संख्या में लंबित मामलों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि प्रशासनिक सचिवों को शिकायतों के निवारण पर विशेष बल देना चाहिए और लंबित मामलों पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए। जयराम ठाकुर ने कहा कि यद्यपि हेल्पलाइन जनता की शिकायतों के निवारण के लिए शुरू की गई है, परंतु जनता द्वारा उठाई गई मांगों को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए।

सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री डा. राम लाल मारकंडा ने कहा कि मुख्यमंत्री सेवा संकल्प हेल्पलाइन लोगों की शिकायतों के शीघ्र निवारण के लिए वरदान साबित हो रही है। उन्होंने कहा कि इससे यह सिद्ध हुआ है कि सुशासन के लिए सूचना प्रौद्योगिकी का कैसे प्रभावी इस्तेमाल किया जा सकता है।