मंडी, 20 अक्तूबर : हिमाचल सरकार की मुख्यमंत्री मधु विकास योजना की मदद से अनेकों युवा शहद की मक्खियों के व्यवसाय में रोजगार की मिठास पाकर कर निहाल और मालामाल हो रहे हैं। ऐसे हजारों सफल युवा उद्यमियों की तरह ही मंडी जिला की कोटली तहसील केे सेहली गांव के मनोज कुमार उर्फ मोर ध्वज ने भी इस योजना का लाभ लेकर सफलता की नई कहानी रची है। वे न केवल सरकारी मदद से आत्मनिर्भर हुए हैं बल्कि अन्यों के लिए रोजगार प्रदाता भी बने हैं।
मनोज सालाना करीब 25 क्विंटल के करीब शहद उत्पादन कर रहे हैं। जिसकी प्रतिकिलो कीमत 500 से 700 रुपये के करीब है। इसके अलावा बगीचों में पॉलिनेशन सहायता के लिए बागवान उन्हें प्रति बक्सा एक हजार रुपये की अदायगी करते हैं। मजोज को पिछले साल सारा खर्च निकाल कर इस कारोबार में 3 लाख रुपये का शुद्ध लाभ हुआ है।
बता दें, हिमाचल सरकार मधुमक्खी पालन व्यवसाय को स्वरोजगार के उत्तम साधन के रूप में प्रोत्साहित कर रही है । मुख्यमंत्री श्री जय राम ठाकुर का इस ओर विशेष जोर है कि युवाओं को इस व्यवसाय को अपनाने को प्रोत्साहित किया जाए। इस मकसद से मुख्यमंत्री मधु विकास योजना शुरू की गई है, जिसके तहत लोगों को अनेक सुविधाएं एवं उपदान दिया जा रहा है। इसी क्रम में मंडी जिला में भी मधुमक्खी पालन गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा रहा है।
यूं शुरू हुआ सफर
वल्लभ राजकीय डिग्री कॉलेज मंडी से स्नातक मनोज कुमार बताते हैं ग्रेजुएशन पूरी करने के बाद उन्होंने कृषि गतिविधियों को रोजगार के तौर पर अपनाया और पुश्तैनी जमीन पर खेती बाड़ी करने लगे।
वे सालों से यह काम कर रहे थे, लेकिन इससे आमदनी बस इतनी भर थी कि किसी तरह घर का खर्च निकल जाता था। उम्र 40 का पड़ाव पार कर चुकी थी और घर में तीन बच्चों की पढ़ाई का खर्च भी बढ़ने लगा था। ऐसे में उनके एक दोस्त ने उन्हें मुख्यमंत्री मधु विकास योजना के बारे में बताया और खेतीबाड़ी के साथ मधुमक्खी पालन का व्यवसाय शुरू करने की सलाह थी। उन्हें ये बात जच गई और बिना समय गंवाए उन्होंने मंडी में बागवानी विभाग के कार्यालय से इस योजना की पूरी जानकारी लेकर आवेदन कर दिया।
1.76 लाख की सरकारी मदद
43 वर्षीय मनोज बताते हैं कि उन्होंने दिसंबर 2018 में मधुमक्खियों के 50 बक्सों के साथ काम शुरू किया था। इसके लिए उन्हें प्रदेश सरकार से 1.76 लाख रुपये की सहायता मिली।
उनका कहना है कि सरकार की ये मदद उनका जीवन बदलने वाली साबित हुई। उन्होंने सरकारी मदद के 1.60 लाख रुपये मधुमक्खी और बक्सों की खरीद पर और 16 हजार जरूरी उपकरण खरीदने के लिए खर्चे । 50 हजार रुपये अपनी बचत से उपयोग कर काम को गति दी। इसमें बागवानी विभाग सुंदरनगर और नौणी विश्वविद्यालय से मौन पालन और रानी मक्खी तैयार करने को लिया प्रशिक्षण उनके बड़े काम आया।
बकौल मनोज कुमार ‘50 बक्सों से शुरू हुआ ये सफर 240 बक्सों तक पहुंच गया है। पिछले साल सारा खर्च निकाल कर इस कारोबार में 3 लाख रुपये का शुद्ध लाभ हुआ है।’
मुख्यमंत्री का आभार
वे मुख्यमंत्री श्री जय राम ठाकुर का आभार जताते हुए कहते हैं कि मुख्यमंत्री के प्रयासों से बेरोजगार युवा ‘बी-कीपिंग’ को व्यवसाय के रूप में अपनाने को आगे आए हैं और अपनी आर्थिकी को मजबूत कर रहे हैं। वे प्रदेश में शहद के व्यवसायिक उत्पादन में क्रांति लाने के लिए उठाए गए प्रभावी कदमों के लिए भी श्री जय राम ठाकुर का आभार व्यक्त करते हैं।
सेब की अच्छी पैदावार में सहायक है मधुमक्खी
मनोज कुमार बताते हैं कि सेब सीजन में हिमाचल के ऊपरी इलाकों के बागवान उन्हें विशेषतौर पर बुलाते हैं, क्योंकि मधुमक्खियां बगीचों में सफल पॉलिनेशन को सुनिश्चित कर सेब की अच्छी पैदावार में सहायक होती हैं। इसके लिए बागवान उन्हें प्रति बक्सा एक हजार रुपये की अदायगी करते हैं।
इसके अलावा फ्लावरिंग के सीजन में राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान भी उन्हें बुलाते हैं। सरसों के एक सीजन में जहां 2 हजार किलो तक शहद हो जाता है। वहीं सफेदा के फूलों के सीजन में 700 किलो के करीब उत्पादन होता है। सीजन के दौरान वे 3-4 लोगों को रोजगार मुहैया करवाने के साथ ही उन्हें 8 से 10 हजार रुपये महीना देते हैं।
जिला के 1213 किसान लाभान्वित
बागवानी विभाग मंडी के उपनिदेशक अशोक धीमान बताते हैं कि मुख्यमंत्री मधु विकास योजना के तहत बीते पौने 3 सालों में मंडी जिला में 1213 किसानों को करीब 85 लाख रुपये की मदद दी गई है।
वे बताते हैं कि मुख्यमंत्री मधु विकास योजना के तहत मधुमक्खी पालक को 50 मधुमक्खी कालोनियों या यूनिट तक आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। इसके लिए 80 प्रतिशत लागत राशि या 1,600 रुपये प्रति मधुमक्खी कालोनी दी जाती है।
मधुमक्खी पालन के लिए जरूरी हैं ये उपकरण
अशोक धीमान बताते हैं कि मधुमक्खी पालन के लिए लकड़ी के बॉक्स, बॉक्सफ्रेम, मुंह पर ढकने के लिए जालीदार कवर, दस्ताने, चाकू, शहद रिमूविंग मशीन, शहद इक्ट्ठा करने के ड्रम का इंतजाम जरूरी है।
रखें ये सावधानी
उनका कहना है कि जहां मधुमक्खियां पाली जाएं उसके आसपास की जमीन साफ-सुथरी होनी चाहिए। बड़े चींटे, मोमभक्षी कीड़े, छिपकली, चूहे, गिरगिट तथा भालू मधुमक्खियों के दुश्मन हैं, इनसे बचाव के पूरे इंतजाम होने चाहिए।
क्या कहते हैं जिलाधीश
जिलाधीश ऋग्वेद ठाकुर का कहना है शहद की मक्खियों के व्यवसाय से अधिक लाभ होने के चलते किसानों का इस व्यवसाय की ओर लगातार रूझान बढ़ा है। खेती करने वालों के लिए यह सस्ता एवं कम मेहनत वाला तथा अतिरिक्त आमदनी का स्त्रोत तो है ही, कम भूमि वाले किसानों के लिए मधुमक्खी पालन एक लाभप्रद व्यवसाय भी है। मंडी जिला में मुख्यमंत्री मधु विकास योजना के तहत युवाओं को मधुमक्खी पालन को स्वरोजगार के तौर पर अपनाने के लिए हर संभव मदद दी जा रही है।