शिमला. कोरोना काल में विधानसभा सत्र चल रहा है जिसमें जनता से जुड़े मुद्दे गूंज रहे हैं। अब तक विधानसभा में सबसे अधिक महंगाई का मुद्दा विपक्ष के तरफ से उठाया गया। विपक्ष ने स्थगन प्रस्ताव के माध्यम से कोरोना पर विशेष चर्चा मांगी जिसे स्वीकार किया गया। कोरोना संक्रमण रोकने पर सरकार की कामयाबी और नाकामी पर हंगामा होता रहा। लेकिन इस संकट के बीच सरकार के द्वारा बढ़ाई गई महंगाई के मुद्दे पर विपक्ष ने सरकार को घेरा, जिसमें सरकार पूरी तरह घिरी नजर आई और इसका सरकार के पास सीधा जवाब नहीं था। विधानसभा में विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि कोरोना संकट काल में सरकार ने जनता को राहत देने की बजाय महंगाई बढ़ाकर खून के आंसू निकाले हैं। सरकार ने सब्सिडी में मिलने वाले राशन के दाम बढ़ा दिए हैं। दाल, तेल, नमक , चावल सहित सभी के रेट बढ़ा दिए हैं। बस किराया दो बार में 50 फीसदी बढ़ा दिया। बिजली के रेट भी बढ़ा दिए और सब्सिडी वाले यूनिट भी कम कर दिए। पेट्रोल-डीजल पर वैट लगाकर दाम में वृद्धि की तो गाड़ियों की रजिस्ट्रेशन फीस भी बढ़ा दी। इस तरह कोरोना कॉल में जनता के ऊपर महंगाई की मार सरकार के निर्णयों के कारण हुई है। विपक्ष के नेता से सीधे कहा कि जन विरोधी निर्णय लेने वाली सरकार को सत्ता में रहने का हक नहीं है और मुख्यमंत्री सहित सभी मंत्रियों को इस्तीफा देना चाहिए। महंगाई के मुद्दे पर घिरी सरकार के जवाब नहीं था लेकिन फिर भी जैसा राजनैतिक जवाब होता है, वैसा जवाब सरकार की ओर से दिया गया। राजनेता तो यह जानते हैं कि मुद्दों से ध्यान हटाना और गोलमोल कैसे जवाब दिया जाता है। सरकार की तरफ से भी ऐसा किया गया और मंहगाई की बात से हटकर सरकार द्वारा जनता को दी गई राहत और सुविधाएं गिना दी गईं। जबकि विपक्ष सरकार से महंगाई पर जवाब मांग रहा था लेकिन वह जवाब नहीं मिला। सरकार ने बता दिया कि हजारों गरीब परिवारों को मुफ्त में राशन दिया गया, गैस सिलेंडर दिए गए आदि आदि। लेकिन महंगाई की मार जनता पर तो पड़ ही रही है जब हजारों लोगों की नौकरियां चली गईं, काम धंधे बंद हो गए। इस तरह सरकार महंगाई के मुद्दे पर विधानसभा में घिरी नजर आई।