लाहौल स्पिति के उपायुक्त ने जारी किया स्नो फेस्टिवल का कैलेंडर

शिमला, 2 फरवरी। हिमाचल प्रदेश के जनजातीय जिला लाहौल स्पिति में मनाए जा रहे ‘स्नो फेस्टिवल’ को लेकर आज सब कमेटियों की समीक्षा बैठक  आयोजित की गई। इस मौके पर उपायुक्त पंकज रॉय ने बताया कि लाहौल स्पिति की कबायली कला-संस्कृति व घाटी में मनाए जाने वाले उत्सवों को एक ही पटल पर ‘स्नो फेस्टिवल’ के माध्यम प्रस्तुत किया जा रहा है। इस बैठक में फरवरी व मार्च माह की गतिविधियों के कैलेंडर पर चर्चा हुई तथा फरवरी माह का कैलेंडर जारी किया गया।

पंकज रॉय ने कहा कि न्यूनतम बजट में भी लोगों के सहयोग से बहुत ही शानदार कार्यक्रम किये जा रहे हैं। फरवरी माह में 3 फरवरी को सांस्कृतिक संध्या , 4 को तीरंदाजी केलांग में , 5 व 6फरवरी को जाहलमा, 7-8 को युरनाथ, त्रिलोकनाथ में,9-10 को गोंदला,12 को सारंग, 13-14 को शांशा,15-16 को गोची केलांग, 19,20 व 21 को हिमसंवाद केलांग, प्यूकर, 22-23 को पूजा-अर्चना शिशुर गोम्पा, 26-27 को योर उत्सव, 27 को लामोई, तिलिंग ओर खाले में कार्यक्रम आयोजित किये जाएंगे।

पंकज रॉय ने कहा कि देश दुनिया को दिखाने के लिये मीडिया व सोशल मोडिया के माध्यम से स्नो-फेस्टिवल में परंपरागत खेलों का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। शीत मरुस्थल लाहुल घाटी में पहली बार स्नो फेस्टिवल मनाया जा रहा है। अटल टनल रोहतांग ने जनजातीय जिला लाहुल-स्पीति की लाहुल घाटी व चंबा जिला की किलाड़ घाटी के लिए समृद्धि व खुशियों के द्वार खोल दिए हैं। उन्होंने बताया कि लाहुल घाटी के फागली, हालडा, लोसर, कुन्स, जुकारु, गोची, पूना, लामोही जैसे प्रमुख त्यौहार हैं। यह सभी त्यौहार सर्दियों में ही मनाए जाते हैं और हर जगह इनके मनाने का रिवाज अलग-अलग है। पहली बार इस महा उत्सव के माध्यम से तीर अंदाजी, बर्फ़ पर रस्साकस्सी, आदि आकर्षक व रौचक खेलों के रूप में सामने आ रहे हैं

उन्होंने कहा कि शीत मरुस्थल में विंटर टूरिज्म को बढ़ावा देने के मकसद से ही स्नो फेस्टिवल का आयोजन किया जा रहा है। स्नो फेस्टिवल के माध्यम से यहाँ के पारंपरिक कलाओं, वेष-भूषा व खानपान को बढ़ावा मिलेगा।