हिमाचल में सूखे जैसे हालात
भारतीय किसान संघ ने की प्रदेश को सूखा ग्रस्त राज्य घोषित करने की मांग
शिमला, 30 मार्च। भारतीय किसान संघ की प्रदेश इकाई ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से हिमाचल प्रदेश को सूखाग्रस्त राज्य घोषित करने तथा रबी फसलों को हुए नुकसान से किसानों को सीधी राहत देने की मांग की है। भारतीय किसान संघ ने आज प्रदेश के सभी जिलाधीशों व खंड़ों में तहसीलदारों के माध्यम से ज्ञापन पत्र सौंपे। शिमला में भारतीय किसान संघ के शिमला जिला अध्यक्ष केदार सिंह के नेतृत्व में जिलाधीश को ज्ञापन सौंपा गया।
इस मौके पर केदार सिंह ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में कृषि एवं बागवानी वर्षा पर आधारित हैं। सामान्यतः प्रदेश के विभिन्न जिलों में औसतन 1000-1200 मि.मी. वर्षा द्वारा पूरा वर्ष जल भू-भाग को मिलता रहता है। लेकिन वर्ष 2020-21 के दौरान सितम्बर, 2020 से मार्च, 2021 तक सामान्य से बहुत कम 48-83 प्रतिशत वर्षा हुई है। इसके अलावा हिमपात भी बहुत कम हुआ है परिणाम स्वरूप सूखे की स्थिति बन चुकी है। इसका सीधा असर रबी की फसलों पर दिख रहा है। भूमि जल के रिचार्ज न होने के कारण खड्डों, नालों तथा प्राकृतिक संसाधन भी सूखने लगे हैं।
रबी की फसलें जैसे- गेहूँ, चना, जौ, मटर, आलू तथा चारे की फसलें इत्यादि को भी भारी नुकसान देखने को मिला है। असिंचित क्षेत्रों में यह प्रभाव 80 प्रतिशत आंका जा रहा है। इसमें बहुत से स्थानों पर तो गेहूँ की फसल नष्ट हो चुकी है। किसानों ने गेहूँ को चारे के रूप में काटना शुरू कर दिया है। एक क्विंटल उत्पादन के स्थान पर 15-20 किलोग्राम गेहूँ के उत्पादन की आशा की जा रही है। कृषि विभाग द्वारा एक माह पूर्व अपनी रिपोर्ट में सूखे का प्रभाव जो केवल 30-40 प्रतिशत आंका था जो अब बढ़कर 70-80 प्रतिशत तक पहुंच गया है। अधिकतर खेती की भूमि असिंचित, छोटी जोत, पहाड़ी क्षेत्र होने एवं अनाज की कम आय वाली फसलों के कारण किसान फसल बीमा योजना के लाभ से वंचित रहते हैं।
भारतीय किसान संघ ने सरकार से मांग की है कि हिमाचल प्रदेश को सूखाग्रस्त राज्य घोषित किया जाये और रबी फसलों के नुकसान की राहत किसानों को प्रति बीघा जमीन के हिसाब से बैंक द्वारा किसानों के खाते में सीधे दी जाये। जिससे किसानों को कम से कम कृषि आदानों में व्यय राशि राहत के रूप में उपलब्ध हो।