डाॅ. सिकंदर कुमार, राज्यसभा सांसद एवं प्रदेश महामंत्री भाजपा ने आज मानसून सत्र के पहले दिन सदन में युवाओ में बढ़ती नशे की आदत और इसके प्रभावों का विषय उठाया। उन्होनें कहा कि वर्तमान समय में हिमाचल प्रदेश सहित कई राज्यों में नशे की समस्या से जुड़ी चुनौतियों का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है। युवा वर्ग जो बढ़ते भारत का भविष्य है, में नशीले पदार्थों के सेवन और नशीली दवाओं की तस्करी एक गंभीर समस्या बन गई है और यह नशा कोई आम नशा नहीं है बल्कि गांजा, हेरोइन, अफीम, चरस और रसायनों की जटिल प्रक्रियाओं से बने कई तीखे मिश्रणों से है। आपराधिक नेटवर्कों के तहत कैनबिस, कोकीन, हेरोइन और मेथामफेटामाइन सहित कई प्रकार की नशीली दवाओं का व्यापार किया जाता है जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा भी खतरे में है।
राज्यसभा सांसद ने केन्द्र सरकार से इस विषय पर गंभीरता से विचार करने का आग्रह किया और इस समस्या के निदान के लिए सख्त नीति और कड़े कानून के प्रावधान की मांग की। साथ ही शिक्षा के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण पाठ्यक्रम के रूप में मादक पदार्थों की लत इसके प्रभाव और नशामुक्ति अध्याय को शामिल करने की मांग रखी ताकि युवाओं को नशे के गंभीर परिणामों के प्रति जागरूक किया जा सके।
डाॅ0 सिकंदर कुमार ने सदन के माध्यम से कोयला और खान मंत्री, भारत सरकार से जानना चाहा कि क्या सरकार ने हिमाचल प्रदेश के औद्योगिक नगर बद्दी में अनिवार्य पर्यावरणीय स्वीकृति प्राप्त किए बिना अवैध रेत खनन के मामलो में विनियामक उल्लंघनों की अनदेखी को लेकर राज्य खनन विभाग को काई निर्देश जारी किए हैं ? हिमाचल प्रदेश में पिछले तीन वर्षों के दौरान अवैध रेत खनन के कारण अनुमानित नुकसान का ब्यौरा क्या है ? हिमाचल प्रदेश में अवैध रेत खनन को रोकने और लघु खनिजों के अवैध भंडारण और बिक्री के विरूद्ध की गई कार्यवाही और उठाए गए कदमों का ब्यौरा क्या है ?
डाॅ. सिकंदर की ओर से पूछे गए प्रश्नो का उत्तर देते हुए केन्द्रीय कोयला और खान मंत्री जी. किशन रेड्डी ने बताया कि एमएमडीआर अधिनियम 1957 की धारा 15 के तहत राज्य सरकारों को गौण खनिजों के संबंध में खदान पट्टों या अन्य खनिज रियायतों के अनुदान को विनियमित करने और उनसे संबंधित प्रयोजनों के लिए नियम बनाने का अधिकार दिया गया है। साथ ही राज्य सरकारों को खनिजों के अवैध खनन, ढुलाई और भंडारण को रोकने और उनसे संबंधित मामलों के लिए नियम बनाने का अधिकार दिया गया है इसलिए अवैध खनन पर नियंत्रण करना मुख्य रूप से राज्य सरकार का उत्तरदायित्व है। हिमाचल प्रदेश राज्य सरकार द्वारा अवैध रेत खनन पर अंकुश लगाने के लिए कई उपाय किए गए हैं जिसमें रात के समय खनन गतिविधियों पर प्रतिबंध, अवैध खनन के विरूद्ध कार्यवाही हेतु अभिरक्षक विभागों को उत्तरदायी बनाया गया, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर प्राथमिकी दर्ज करना, आम जनता की जानकारी के लिए खनन पट्टा क्षेत्रों में साइन बोर्ड लगाना, उप-मंडल स्तरीय उड़नदस्ते का गठन, अवैध खनन की जांच करने और अवैध सामग्री/वाहनों को जब्त करने हेतु अन्य विभागों को अधिकार दिए गए तथा स्त्रोत से 50 किलोमीटर से आगे के पारगमन पासों का सत्यापन इत्यादि।
केन्द्रीय मंत्री ने पिछले तीन वर्षों के दौरान हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा खनिज के अवैध खनन, ढुलाई और भंडारण के विरूद्ध की गई कार्यवाही का ब्योरा सदन में प्रस्तुत किया।