फार्मा उद्योगों में नशीली दवाएं तैयार करने का मामला
हिमाचल पुलिस ऐसे वित्तीय मामलों की प्रवर्तन निदेशालय को सौंपेगी जांच
शिमला, 9 जून। हिमाचल प्रदेश पुलिस फार्मा कंपनियों में अवैध तौर पर नशीली दवाओं के उत्पादन के मामलों की वित्तीय जांच प्रवर्तन निदेशालय को सौंपेगी। हिमाचल प्रदेश पुलिस के एक प्रवक्ता ने आज शिमला में कहा कि प्रदेश पुलिस नशीली दवाओं के कानूनों को मजबूती से लागू कर ड्रग फ्री हिमाचल के लिए प्रतिबद्ध है। पुलिस नशीली दवाओं के खतरे को खत्म करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। विशेषकर फार्मा उद्योगों द्वारा नशीली दवाओं के उत्पादन के दुरुपयोग के मामलों को पुलिस अति गंभीरता से ले रही है। हिमाचल प्रदेश में एनडीपीएस अधिनियम की अनुसूची में सूचीबद्ध साइकोट्रॉपिक पदार्थों के उत्पादन के लाइसेंस वाले 139 कारखाने हैं। इनमें से कुछ को इन लाइसेंसों का दुरुपयोग करते हुए और नशीले पदार्थों को अवैध तौर पर बाजार में बेचते हुए पाया गया है।
प्रवक्ता ने कहा कि प्रदेश पुलिस ऐसे फार्मा उद्योगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर रही है। नशीले पदार्थों के अवैध उत्पादन में लिप्त फार्मा कंपनियों की गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए हिमाचल पुलिस ने अब इस धंधे से अवैध रूप से सम्पत्ति अर्जित करने वाले फार्मा उद्योगों के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट के तहत वित्तीय जांच में और अधिक तेजी लाई है। प्रवक्ता ने कहा कि इस विषय पर जानकारी मनीलाँड्रिंग रोकथाम अधिनियम के तहत प्रवर्तन निदेशालय के साथ सांझा की जा रही है ताकि ऐसे दोषी फार्मा उद्योगों द्वारा अवैध तौर पर अर्जित की गई संपत्ति को जब्त किया जा सके।
प्रवक्ता ने ये भी कहा कि हाल ही में 29-30 मई को पंजाब पुलिस के साथ एक संयुक्त अभियान में हिमाचल पुलिस ने सिरमौर जिला के पांवटा साहिब में यूनिक फार्मूलेशन में अवैध रूप से बनाई गई 3016332 नशीली गोलियां जब्त की। इनमें 12.45 लाख ट्रामाडोल कैप्सूल, 7.72 लाख ट्रामाडोल टैबलेट, 9.99 लाख अल्पॉक्स टैबलेट शामिल हैं। अवैध तौर पर तैयार की गई इन नशीली दवाओं की कीमत 15 करोड़ रुपए आंकी गई है। यही नहीं इस फार्मा उद्योग से तीन करोड़ रुपए का 745 किलोग्राम ट्रामाडोल कच्चा माल भी बरामद किया।