भाषा, कला एवं संस्कृति मंत्री गोविन्द सिंह ठाकुर ने आज यहां भाषा एवं संस्कृति विभाग के कार्यों की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार राज्य की अतुल्य सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए संकल्पबद्ध है।
गोविन्द सिंह ठाकुर ने अधिकारियों को प्रदेश की भाषा, कला, संस्कृति एवं लोक परम्पराओं को अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान प्रदान करने के लिए कार्य करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश के विभिन्न जिलों में लुप्त होती कलाओं को गुरू शिष्य परम्पराओं के अन्तर्गत पुनर्जीवित किया जाएगा और युवाओं को इन विधाओं का प्रशिक्षण प्रदान कर रोजगार के अवसर प्रदान करवाएं जाएंगे। विभाग द्वारा प्रदेश के पुरातन और धरोहर गांवों को पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जाएगा। मन्दिर परिसरांे के पास के स्थानों में हो रहे अवैध और बहुमंजिला इमारतों के निर्माण पर रोक लगाई जाएगी। मन्दिर परिसरों में नवग्रह वाटिकाओं का निर्माण किया जाएगा, जिसका रख-रखाव सम्बन्धित मन्दिर न्यास और ग्रामीण लोगों द्वारा करवाया जाएगा। उन्होंने कहा कि विभाग प्रदेश के ऐतिहासिक किलों के संवर्धन के लिए प्रयासरत है।
गोविन्द सिंह ठाकुर ने कहा कि प्रदेश के विभिन्न मन्दिर प्रबन्धन द्वारा कोविड-19 फंड में 15 करोड़ रुपये से अधिक का अंशदान किया गया है। कोविड-19 महामारी के दृष्टिगत विभाग ने ‘हिम कृति कार्यक्रम’ द्वारा आॅनलाइन माध्यमों से साहित्य, कवि सम्मेलन, साक्षात्कार सहित 10 कार्यक्रमों का आयोजन करवाया है। आगामी हिन्दी पखवाड़ा कार्यक्रम का भी आॅनलाइन माध्यम से आयोजन करवाया जाएगा, जिसके अन्तर्गत विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताएं आयोजित करवाई जाएगी। प्रदेश में शोध कार्य में बढ़ावा दिया जा रहा है, जिसके अन्तर्गत लगभग 36 शोधार्थियों ने प्रदेश के अभिलेखों का अध्ययन किया है।
भाषा, कला एवं संस्कृति मंत्री ने अधिकारियों को पूर्ण राज्यत्व के 50 वर्ष पूर्ण करने के अवसर पर आयोजित किए जा रहे कार्यक्रमों में प्रदेश की विकास यात्रा को विभिन्न माध्यमों से प्रदर्शित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि चंबा को यूनेस्को द्वारा धरोहर कस्बा घोषित करवाने और बाबा कांशीराम के पैतृक घर को संग्रहालय के रूप में संरक्षित करने के प्रयास किये जा रहे हंै।
इस अवसर पर भाषा, कला एवं संस्कृति विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आरडी धीमान, निदेशक कुमुद सिंह और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।