मुख्यमंत्री सुक्खू की विपक्ष को चुनौती
पेखुबेला सोलर प्रोजेक्ट में भ्रष्टाचार हुआ तो ईडी के पास करें शिकायत
शिमला, 25 अगस्त।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विपक्षी दल भाजपा को चुनौती दी है कि यदि ऊना जिले के पेखुबेला सोलर पावर प्रोजेक्ट में कोई भ्रष्टाचार हुआ है तो वह इसकी शिकायत ईडी और सीबीआई के पास करें। मुख्यमंत्री ने सोमवार को विधानसभा में नियम 63 के तहत भाजपा के बिक्रम ठाकुर द्वारा लाई गई चर्चा के जवाब में कहा कि यह प्रोजेक्ट बाढ़ के कारण बंद नहीं हुआ है, बल्कि इसे अत्याधिक बारिश के कारण पानी भर जाने के चलते बंद किया गया है और यह प्रोजेक्ट 15 सितंबर से फिर कार्य करना शुरू करेगा।
मुख्यमंत्री ने विपक्ष द्वारा मामला उठाए जाने पर कहा कि भाजपा विधायक बिक्रम ठाकुर को पेखुबेला सोलर प्रोजेक्ट का फोबिया हो गया है। उन्होंने कहा कि यह एक ईपीएस प्रोजेक्ट है और इसकी डीपीआर केंद्र सरकार के एक उपक्रम द्वारा बनाई गई है। उन्होंने विपक्ष के आरोपों को निराधार करार देते हुए कहा कि जिस कंपनी को यह प्रोजेक्ट बनाने और रखरखाव का ठेका दिया गया था, उसका 50 करोड़ रुपए का भुगतान सरकार ने रोक दिया है, क्योंकि कंपनी काम छोड़कर चली गई है। उन्होंने कहा कि यह कंपनी 14 जून 2025 से काम छोड़कर चली गई है। उन्होंने कहा कि जब तक यह मामला सुलझ नहीं जाता, तब तक इस प्रोजेक्ट की देखरेख एचपीसीएल करेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सीबीआई भी पेखुबेला प्रोजेक्ट को चीफ इंजीनियर विमल नेगी मौत मामले से जोड़कर जांच कर रही है। उन्होंने कहा कि यदि विपक्ष के पास इस प्रोजेक्ट में भ्रष्टाचार से संबंधित कोई दस्तावेज हैं तो वह उन्हें सीबीआई को भी दे सकते हैं।
इससे पूर्व, भाजपा विधायक बिक्रम ठाकुर ने यह मामला उठाते हुए कहा कि जब से पेखुबेला सोलर प्रोजेक्ट शुरू हुई है, तब से आज दिन तक इसमें कभी भी पूरी क्षमता से उत्पादन नहीं किया। उन्होंने कहा कि 20 अगस्त को हुई भारी बारिश के कारण यह प्लांट पूरी तरह से पानी में डूब गया, लेकिन आज दिन तक सरकार ने इस प्रोजेक्ट को लेकर उठे सवालों का जवाब नहीं दिया। उन्होंने कहा कि इस प्रोजेक्ट से अधिकतम 16 मेगावाट बिजली ही बनी है, जबकि इसकी क्षमता 32 मेगावाट है। उन्होंने दावा किया कि प्रोजील कंपनी, जिसे इस प्रोजेक्ट की देखरेख का काम सौंपा गया था, उसे 99 फीसदी भुगतान कर दिया गया है।
बिक्रम ठाकुर ने यह भी कहा कि यह प्रोजेक्ट समुद्रतल से 356.50 मीटर की ऊंचाई से ऊपर स्थापित होना चाहिए था। लेकिन इसे जीरो लैवल पर लगा दिया गया। उन्होंने कहा कि इस प्रोजेक्ट में 10 इनवर्टर लगाए गए थे, जिसमें से केवल 4 काम कर रहे थे और अब बाढ़ के पानी में डूब जाने से ये सारे इनवर्टर बंद हो गए हैं। उन्होंने कहा कि इस प्लांट को फिर से चालू करने के लिए कम से कम 50 करोड़ रुपए चाहिए। उन्होंने दावा किया कि इस प्रोजेक्ट में बहुत बड़ा भ्रष्टाचार हुआ है।