पटवारी भर्ती मामले में प्रदेश सरकार पर पटवारी भर्ती मामले में अनियमितता का आरोप लगाने बालों की याचिका को खारिज करते हुये माननीय उच्च न्यायालय ने लगाई कड़ी फटकार.आज दिनांक 3 जून 2020 को हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय की खंडपीठ न्यायाधीश श्री त्रिलोक चौहान व न्यायाधीश ज्योत्सना की खंडपीठ में पटवारी भर्ती मामले की सुनवाई हुई ! हिमाचल प्रदेश सरकार ने दिनांक 6 सितंबर 2019 को लगभग पूरे प्रदेश में 1200 पटवारी भर्ती करने का निर्णय लिया! पूरे प्रदेशभर से लगभग 3,00,000 अभ्यार्थियों ने इस पटवारी भर्ती के लिए आवेदन किया था ! दिनांक 17 नवंबर 2019 को इस भर्ती की लिखित परीक्षा प्रदेश के विभिन्न जिलाधीश के माध्यम से जिलों के विभिन्न केंद्रों में लिखित परीक्षा ली गई ! इस भर्ती को पंकज शर्मा व कुछ दो अन्य व्यक्तियों ने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय मैं चुनौती दी व भर्ती प्रक्रिया में अनियमितताओं का आरोप लगाया तथा अधिवक्ता के माध्यम से हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई ! हिमाचल प्रदेश सरकार ने इस याचिका का विस्तृत जवाब दाखिल किया और ये स्पष्ट कहा की इस भर्ती में कोई भी व किसी भी तरह की अनियमितता नहीं हुई है तथा इस याचिका को चुनौती देने वाले 1 अभ्यर्थी तो परीक्षा में उपस्थित भी नहीं हुआ था ! प्रदेश उच्च न्यायालय ने दिनांक 8 जनवरी 2019 को इस पटवारी भर्ती की जांच सीबीआई को जांच करने के लिए कहा !सीबीआई ने गहन जांच पड़ताल करने के बाद अपनी विस्तृत जांच रिपोर्ट प्रदेश उच्च न्यायालय को पेश की ! तथा दिनांक 29 मई 2020 को प्रदेश उच्च न्यायालय मैं बंद लिफाफे मे अपनी रिपोर्ट सौंपी ! दिनांक 2 जून 2020 को प्रदेश उच्च न्यायालय ने सीबीआई की विस्तृत जांच रिपोर्ट का अवलोकन किया, व यह स्पष्ट पाया कि हिमांचल प्रदेश सरकार ने इस पटवारी भर्ती में कोई भी अनियमितता नहीं की थी ,और इस पटवारी भर्ती को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया गया !प्रदेश उच्च न्यायालय ने जब इस पटवारी भर्ती की जांच कराने की बात कही तो प्रदेश सरकार ने स्पष्ट किया था कि इस पटवारी भर्ती की जांच प्रदेश व देश की किसी भी जांच एजेंसी से करवाने के लिए तैयार है!व हिमाचल प्रदेश सरकार ने इस पटवारी भर्ती में सारी पारदर्शिता का पालन किया है ! हिमाचल प्रदेश की वर्तमान सरकार भर्ती व अन्य सभी मामलों में पारदर्शिता के साथ काम करती है ,और इसके साथ कोई भी समझौता नहीं किया जाता !आज सीबीआई की रिपोर्ट व हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के इस फैसले से यह स्पष्ट हो गया कि इस पूरी भर्ती प्रक्रिया में पूरी पारदर्शिता बरती गई थी और किसी भी तरह की कोई अनियमितता नहीं हुई थी!