शिमला. विधानसभा में नेशनल हाइवे का मुद्दा पत्र बम के साथ गूंजता रहा। विपक्ष नेशनल हाइवे के निर्माण को लेकर सरकार को घेरता रहा तो सरकार बचती हुई जवाब देती रही। विधानसभा में मात्र एक नेशनल हाइवे मटौर से शिमला का मामला गूंजा। विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री ने सदन में एक पत्र जारी कर सरकार से सवाल पूछा कि क्या मटौर-शिमला नेशनल हाइवे को अब केंद्रीय सड़क एवं भूतल परिवहन मंत्रालय ने प्रदेश लोक निर्माण विभाग को सौंप दिया है। यह सवाल उसी पत्र के हवाले से था जो नेशनल हाइवे आथॉरिटी ने केंद्रीय सड़क मंत्रालय को लिखा था। जिसमें शिमला मटौर नेशनल हाइवे को प्रदेश को सौंपने की बात कही गई थी। सरकार ने जवाब दिया कि यह पत्र दो विभागों के बीच पत्राचार का है। मुख्यमंत्री ने कहा कि नेशनल हाइवे को लेकर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से बात की है। सरकार नेशनल हाइवे बनाने को प्रतिबद्ध है। केंद्रीय मंत्री ने भी प्रदेश में नेशनल हाइवे बनाने की बात स्वीकार की है। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि सरकार नेशनल हाइवे के बात पूरी ताकत के साथ केंद्र सरकार के समक्ष उठाती रहेगी। इस तरह सरकार एक ही सड़क को लेकर सदन में घिरी नजर आई। हालांकि केंद्र सरकार ने प्रदेश की 69 सड़कों को नेशनल हाइवे घोषित कर 65 हजार करोड़ से निर्माण करने की बात कही थी। लेकिन अभी तक किसी भी नेशनल हाइवे के बारे में स्थिति स्पष्ट नहीं दिखती। सरकार को चाहिए कि वह प्रदेश की जनता के सामने पूरे 69 नेशनल हाइवे के बारे में स्थिति स्पष्ट करे। इस बारे में विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के द्वारा घोषित नेशनल हाइवे का तीन साल बाद भी सच क्या, मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को जनता काे बताना चाहिए।
प्रदेश की नेशनल हाइवे का मुद्दा गत विधानसभा चुनाव 2017 में भाजपा का प्रमुख चुनावी मुद्दा था। चुनाव से पूर्व केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने प्रदेश में आकर धड़ा धड़ प्रदेश की हर सड़क को नेशनल हाइवे बनाने का वायदा कर दिया। केंद्रीय मंत्री के द्वारा प्रदेश की जनता से यह वादा तीन साल से अधिक समय पहले किया गया था। केंद्रीय मंत्री ने प्रदेश की 69 सड़कों को नेशनल हाइवे का दर्जा देकर 65 हजार करोड़ में बनाने की बात की। भाजपा ने नेशनल हाइवे को विधानसभा चुनाव का मुद्दा बनाया और भाजपा सत्ता में आ गई। प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने पर विपक्ष लगातार मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से नेशनल हाइवे के बारे में सवाल पूछता रहा। मुख्यमंत्री कभी डीपीआर बनाने, कभी केंद्र के द्वारा करोड़ों रुपए जारी करने तो कभी जमीन अधिग्रहण करने की प्रक्रिया चालू होने की बात होती रही। लेकिन जमीनी स्तर पर सड़कों के नेशनल हाइवे के तहत फोर लेन करने का कार्य शुरु नहीं हुआ। विधानसभा में उठा नेशनल हाइवे का मुद्दा अब सरकार को घेरने के लिए कांग्रेस का प्रमुख मुद्दा बन गया है। जिसे लेकर कांग्रेस के नेता जनता के बीच जाकर सरकार के झूठे वायदों को पोल खोलेंगे।