दो दिवसीय सेमिनार एवं वेबिनार के उदघाटन सत्र में शिक्षा मंत्री ने शिक्षकों से की अपील
हमीरपुर 17 अक्तूबर। शिक्षा, भाषा, कला एवं संस्कृति मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने कहा है कि भारत को वैश्विक महाशक्ति बनाने की दिशा में एक मजबूत आधार तैयार करने के लिए केंद्र सरकार नई शिक्षा नीति लेकर आई है। इसमें शैक्षणिक, सामाजिक, आर्थिक और अन्य सभी पहलुओं के समावेश के साथ-साथ शिक्षक को सबसे महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। 21वीं सदी की शिक्षा नीति के विभिन्न प्रावधानों को तेजी से लागू करने के लिए सभी शिक्षक इस महत्वपूर्ण दस्तावेज का गहन अध्ययन करें और अपने सुझाव भी दें। शनिवार को राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय हमीरपुर में समाज शास्त्र पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार एवं वेबिनार के उदघाटन सत्र को संबोधित करते हुए गोविंद सिंह ने यह अपील की। सोशियोलॉजिकल सोसाइटी हिमाचल प्रदेश एवं हमीरपुर कालेज के समाज शास्त्र विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस सेमिनार एवं वेबिनार में देश-विदेश के जाने-माने समाज शास्त्री, शिक्षक और रिसर्च स्कॉलर्स प्रत्यक्ष या वर्चुअल माध्यम से भाग ले रहे हैं।
इस अवसर पर शिक्षा मंत्री ने कहा कि महान वैज्ञानिक डॉ. के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता वाली समिति ने व्यापक मंथन और लाखों शिक्षाविदों के सुझावों के बाद नई शिक्षा नीति का मसौदा तैयार किया है। हिमाचल प्रदेश सरकार ने इसे लागू करने के लिए तेजी से कार्य आरंभ कर दिया है। इसके लिए टास्क फोर्स का गठन कर दिया गया है तथा उप समितियां भी बनाई जा रही हैं। गोविंद सिंह ने कहा कि इस नीति के क्रियान्वयन में शिक्षक सबसे महत्वपूर्ण कड़ी हैं। इसके मद्देनजर सरकार आने वाले समय में दूरदराज के क्षेत्रों में सेवाएं प्रदान करने वाले शिक्षकों को आवास व अन्य आवश्यक सुविधाएं मुहैया करवाने पर विचार करेगी तथा शिक्षकों पर प्रशासनिक भार कम करेगी।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि कोरोना संकट के दौरान विद्यार्थियों को ऑनलाइन माध्यम से शिक्षा मुहैया करवाने में हिमाचल के शिक्षकों ने बहुत ही सराहनीय कार्य किया है। आने वाले दिनों में सेकेंडरी स्तर की कक्षाएं आरंभ करने के लिए प्रदेश सरकार उचित समय पर निर्णय लेगी। इसके लिए ऑनलाइन माध्यम से बच्चों के अभिभावकों के साथ ई-पीटीएम की गई हैं।
इस अवसर पर समाज शास्त्र विषय की चर्चा करते हुए गोविंद सिंह ने कहा कि यह हमारी शिक्षा व्यवस्था ही नहीं, बल्कि प्रत्यक्ष रूप से हमारे समाज और आम जन-जीवन से जुड़ा हुआ विषय है। नई शिक्षा नीति के प्रावधानों के अनुसार स्कूल एवं कालेज पाठ्यक्रम में इसके समावेश की संभावनाएं तलाशी जाएंगी।
कार्यक्रम के दौरान शिक्षा मंत्री सेमिनार की स्मारिका का विमोचन किया तथा सभी प्रतिभागियों तथा अन्य लोगों को कोरोना संकट से निपटने की शपथ भी दिलाई।
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स्कूली पाठ्यक्रम में समाज शास्त्र का समावेश बहुत ही जरूरी : हंसराज
सेमिनार एवं वेबिनार के विशिष्ट अतिथि हिमाचल प्रदेश विधानसभा के उपाध्यक्ष हंसराज ने भी उदघाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि समाज शास्त्र को सभी विषयों की जननी कहा जाता है। बच्चों के सर्वांगीण विकास और राष्ट्र निर्माण एवं समाज में उनका योगदान सुनिश्चित करने के लिए स्कूली पाठ्यक्रम में भी समाज शास्त्र का समावेश किया जाना आवश्यक है।
विधानसभा उपाध्यक्ष ने कहा कि शिक्षा का अर्थ केवल डिग्रियां हासिल करना ही नहीं होता है। बच्चों के सर्वांगीण विकास के साथ-साथ उन्हें समाज के साथ जोडऩा तथा उन्हें संस्कारित शिक्षा देना भी अति आवश्यक है। हंसराज ने कहा कि नई शिक्षा नीति में इन सभी पहलुओं का विशेष ध्यान रखा गया है। इसमें मल्टी एंट्री और मल्टी एग्जिट का प्रावधान करके सरकार ने विद्यार्थियों को एक साथ कई विकल्प प्रदान किए हैं। विधानसभा उपाध्यक्ष ने कहा कि नई शिक्षा नीति देश और समाज को आगे ले जाने में एक मील का पत्थर साबित होगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस दो दिन के सेमिनार के विभिन्न सत्रों में शिक्षा एवं समाज शास्त्र से जुड़े कई विषयों पर व्यापक मंथन होगा और देश-विदेश के विद्वान एवं शिक्षाविद अपने बेहतरीन शोध पत्र एवं सुझाव प्रस्तुत करेंगे।
इस अवसर पर स्थानीय विधायक नरेंद्र ठाकुर ने भी अपने विचार रखे। इससे पहले कालेज की प्रधानाचार्य डॉ. अंजू बत्ता सहगल ने शिक्षा मंत्री, विधानसभा उपाध्यक्ष और अन्य अतिथियों का स्वागत किया। सोशियोलॉजिकल सोसाइटी की अध्यक्ष डॉ. रुचि और अन्य शिक्षाविदों ने सेमिनार के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। उदघाटन सत्र में भोरंज की विधायक कमलेश कुमारी, एचआरटीसी के उपाध्यक्ष विजय अग्रिहोत्री और गणमान्य लोग भी उपस्थित थे।
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