पटरी पर लौटने लगी हिमाचल की आर्थिकी
शिमला, 3 फरवरी। हिमाचल प्रदेश में कोरोना संकट के बावजूद आबकारी एवं कराधान राजस्व संग्रहण के मोर्चे को फतह करने के करीब है। कोरोना काल में प्रदेश में आर्थिक गतिविधियों के प्रभावित होने के बावजूद जनवरी 2020 के मुकाबले जनवरी 2021 में आबकारी एवं कराधान विभाग के खजाने में 38 फीसद की बढ़ोतरी के साथ 779 करोड़ की रकम जमा हुई है। आबकारी एवं कराधान विभाग के राजस्व में न सिर्फ जीएसटी संग्रहण, बल्कि पेट्रोल व डीजल पर वैट के साथ साथ वैट भुगतान के लंबित मामलों के निपटारे के मकसद से सरकार द्वारा आरंभ की गई लीगेसी योजना के तहत खजाने में आई रकम भी शामिल है। अलबत्ता माली साल 2019-20 के पहले 10 महीनों के मुकाबले चालू वित्त वर्ष में अभी भी खजाने में करीब 200 करोड़ की रकम कम आई है।
प्रदेश में कोरोना काल में अप्रैल से जून तक आर्थिक गतिविधियां लगभग ठप्प रही। अक्तूबर में इनमें तेजी आई तथा अनलॉक को लेकर सरकार ने कारगर रणनीति बनाई। लीगेसी योजना को प्रभावशाली ढंग से लागू किया गया। नतीजतन खजाने में आबकारी विभाग के माध्यम से आने वाले राजस्व में इजाफा हुआ।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने आज बताया कि जनवरी 2020 में आबकारी एवं कराधान विभाग का राजस्व 562 करोड़ था। मगर बीते जनवरी माह में खजाने में 779 करोड़ की रकम जमा हुई। उन्होंने बताया कि बीते 5 माह में प्रदेश में आर्थिक वृद्धि के संकेत मिले हैं।आबकारी एवं कराधान विभाग से खजाने में आने वाली राशि का दोनों सालों का जनवरी तक का अंतर जहां बीते साल जुलाई माह में 39 फीसद हो गया था, वहीं जनवरी माह में यह सिर्फ 3 फीसद रह गया। उन्होंने बताया कि बीते साल जनवरी 2020 के मुकाबले बाीते जनवरी माह में प्रदेश में वैट के राजस्व में 119प्रतिशत, कराधान 32 फीसद तथा जीएसटी संग्रहण में 19प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई।
प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर कोरोना का असर किस कदर पड़ा इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बीते माली साल के पहले माह में खजाने में आबकारी एवं कराधान विभाग के माध्यम से 570 करोड़ की रकम जमा हुआ थी, मगर मार्च 2020 के बाद कफ्र्यूव लॉक डाउन की वजह से आर्थिक हगतिविधियां ठप्प होने से खजाने में अप्रैल 2020 में सिर्फ 76 करोड़ की रकम आई। जाहिर है कि राजस्व में 87 फीसद की गिरावट दर्ज की गई। मई माह में यह गिरावट 45 फीसद थी।