वामपंथी संगठनों ने गांव से लेकर प्रदेश स्तर तक किए विरोध प्रदर्शन
शिमला, 14 दिसंबर । किसान संगठनों के देशव्यापी आह्वान पर हिमाचल किसान सभा, सीटू, जनवादी महिला समिति, डीवाईएफआई, एसएफआई, दलित शोषण मुक्ति मंच ने तीन किसान विरोधी कानूनों व बिजली संशोधन विधेयक 2020 को लेकर आज हिमाचल प्रदेश के गांव, ब्लॉक व जिला मुख्यालयों में धरने प्रदर्शन किये। इस दौरान प्रदेश भर में हजारों लोग प्रदर्शनों में शामिल हुए।
हिमाचल किसान सभा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. कुलदीप तंवर, महासचिव डॉ. ओंकार शाद, सीटू प्रदेश अध्यक्ष विजेंद्र मेहरा, महासचिव प्रेम गौतम आदि नेताओं ने कहा कि किसान आंदोलन के समर्थन में प्रदेश भर में जनता का भरपूर समर्थन मिला व हजारों लोग आंदोलन में शामिल हुए। उन्होंने ऐलान किया कि अगर केंद्र सरकार ने काले किसान कानूनों व बिजली विधेयक 2020 को रद्द न किया तो हिमाचल की जनता भी दिल्ली कूच करेगी।
उन्होंने जनता से अम्बानी व अदानी के उत्पादों का पूर्ण बहिष्कार करने की अपील की ताकि इन घरानों की किसानों को तबाह करने की नीति पर रोक लगाई जा सके। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार इन घरानों के साथ है व उनकी मुनाफाखोरी को बढ़ाना चाहती है। केंद्र सरकार किसान विरोधी नीतियां लाकर किसानों को कुचलना चाहती है। मोदी सरकार द्वारा लाए गए तीनों नए कृषि कानून पूर्णतः किसान विरोधी हैं। इसके कारण किसानों की फसलों को कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के जरिए विदेशी और देशी कंपनियों और बड़ी पूंजीपतियों के हवाले करने की साजिश रची जा रही है। इससे बाजार में खाद्य पदार्थों की बनावटी कमी पैदा होगी व खाद्य पदार्थ महंगे हो जाएंगे। कृषि कानूनों के बदलाव से बड़े पूंजीपतियों और देशी-विदेशी कंपनियों का कृषि पर कब्जा हो जाएगा और किसानों की हालत दयनीय हो जाएगी।
उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार के नए कानूनों से एपीएमसी जैसी कृषि संस्थाएं बर्बाद हो जाएंगी, न्यूनतम समर्थन मूल्य की अवधारणा खत्म हो जाएगी, कृषि उत्पादों की कालाबाजारी, जमाखोरी व मुनाफाखोरी होगी जिससे न केवल किसानों को नुकसान होगा अपितु आम जनता को भी इसकी मार झेलनी पड़ेगी।