महालेखा परीक्षक ने खोली हिमाचल की अर्थव्यवस्था की पोल

महालेखा परीक्षक ने खोली हिमाचल की अर्थव्यवस्था की पोल
कर्ज चुकाने के लिए भी कर्ज के सहारे सुक्खू सरकार
केंद्र से मिली 1024 करोड़ की रकम खर्च नहीं कर सकी सरकार
शिमला, 29 अगस्त।
महालेखा परीक्षक ने एक बार फिर हिमाचल की अर्थव्यवस्था की पोल खोली है। कैग की वर्ष 2023-24 कज रिपोर्ट के अनुसार हिमाचल की सुक्खू सरकार को कर्ज चुकाने के लिए भी कर्ज का सहारा लेना पड़ रहा है।
कैग की रिपोर्ट शुक्रवार को विधानसभा में पेश की गई। रिपोर्ट में कैग ने साफ कहा है कि बढ़ती देनदारियों की वजह से हिमाचल की अर्थव्यवस्था भारी दबाव में है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कर्ज को चुकाने के लिए सरकार को ऋण लेने पड़ रहे हैं। प्रदेश सरकारें बेशक संसाधन जुटाने के नाम पर करोड़ों की अतिरिक्त आमदन जुटाने के दावे कर रही हों, मगर कैग ने हकीकत को उजागर करते हुए कहा कि 2019 से 24 के मध्य कर्जों का भुगतान भी ऋण लेकर किया गया। कर्ज चुकाने के लिए 2019 में लोक ऋण का 52.99 फीसद हिस्सा खर्च किया गया। यह 2024 तक बढ़ कर 74.11 प्रतिशत हो गया। जाहिर है कि संसाधन जुटाने व फिजूलखर्ची पर नकेल कसने के राज्य सरकारों के दावे खोखले साबित हुए हैं।
रिर्पोट में कहा गया है कि सरकार ने 14 मामलों में 711 करोड़ का अनुपूरक बजट पारित किया, मगर हकीकत इसके विपरीत थी। इन मामलों में मूल बजट में आबंटित रकम को भी सरकार खर्च नहीं कर सकी है। रिर्पोट में कहा गया है कि कई मामलों में वित्तीय वर्ष के दौरान राजस्व व्यय संशोधित अनुमानों से 5.11 फीसद कम रहा। राजस्व ही नहीं, पूंजीगत मामलों में भी व्यय संशोधित अनुमानों की तुलना में 14.49 फीसद तक कम रहा।
कैग ने अपनी रिर्पोट में ओपीएस लागू करने से अर्थव्यवस्था पर पडऩे वाले दबाव का भी उल्लेख किया है। रिर्पोट में कहा गया है कि ओपीएस लागू करने के बाद सरकार को ऋण धारणीयता का आकलन करते वक्त इससे खजाने पर पड़ने वाले वित्तीय बोझ को भी ध्यान में रखना होगा।
कैग ने साल 2023-24 की रिर्पोट में खुलासा किया है कि साल 2019-20 से 2023-24 तक बेशक सरकार की राजस्व प्राप्तियों में 4.92 फीसद का इजाफा हुआ हो, मगर इसमें केंद्र से मिलने वाली सहायता अनुदान राशियों का प्रतिशत 55 फीसद से अधिक था। साल 2023-24 में केंद्रीय प्रायोजित योजनाओं के तहत हिमाचल को केंद्र से 5328 करोड़ से अधिक की रकम मिली, जाहिर है कि प्राप्तियों में केंद्र का अंशदान अधिक है। राजस्व व्यय में साल 2019-20 में सकल घरेलू उत्पाद का 19.31 फीसद रहा। यह राशि करीब  30730 करोड़ है। साल 2023-24 में राजस्व व्यय जीडीपी का 21.56फीसद रहा। जाहिर है कि राजस्व व्यय में लगातार इजाफा होता रहा। रिर्पोट में कहा गया है कि साल 2015-16 से 2019-20 तक लगातार राजस्व अधिशेष वाले हिमाचल में 2020-21 से राजस्व घाटा बढऩे लगा। साल 2022-23 में राजस्व घाटा 6335 तथा 2023-24 में यह 5558 करोड़ से अधिक रहा।
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एफआरबीएम के लक्ष्य से अधिक रहा राजकोषीय घाटा
कैग की रिर्पोट में खुलासा किया गया है कि साल 2023-24 में राजकोषीय घाटा राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) के तहत तय 3.5 फीसद तक रहना चाहिए था, मगर यह 5.43 प्रतिशत रहा।
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रिर्पोट में कहा गया है कि साल 2019-20 से 2023-24 के मध्य हिमाचल की लोक ऋण व लोक लेखा देनदारियां 11.07 प्रतिशत की औसत सालान वृद्धि की दर से बढ़ी। हैरानी की बात तो यह है कि वित्तीय वर्ष 2023-24 में प्रदेश का कुल बकाया ऋण साल 2019-20 में सकल घरेलू उत्पाद  के 39.09 से बढ़ कर 2023-24 में 43.98 प्रतिशत तक पहुंच गया। सरकार की गारंटी, ऋण देयताओं वेतन, मजदूरी , पेंशन व ब्याज के भुगतान से राजकोषीय धारणीयता तय होती है। यह लगातार बढ़ रही हैं, मगर इस अनुपात में संसाधन नहीं बढ़ रहे।
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साल 2019-20 से 2023-24 तक हिमाचल सकल घरेलू उत्पाद का 64 से 70 फीसद तक ब्याज, पेंशन व वेतन के भुगतान पर खर्च करता रहा। 2019-20 में इन मदों पर 21466 करोड़ खर्च के मुकाबले साल 2023-24 में इन पर 30213करोड़ खर्च हुई। यह बढ़ोतरी 8.82 प्रतिशत रही। राजस् व्यय में भी 2019-20 में जीडीपी के 3.44 प्रतिशत से बढ़ कर 2023-24 में जीडीपी का 4.58 प्रतिशत हो गई।