सुप्रीम कोर्ट से हिमाचल को बड़ी राहत

सुप्रीम कोर्ट से हिमाचल को बड़ी राहत

एफसीए में फंसे आधा दर्जन से अधिक मामलों को दी हरी झंडी

शिमला, 15 फरवरी। एफसीए, एफआरए के चक्कर में फंसे हिमाचल की करोड़ों की विकास परियोजनाओं पर अब काम शुरू हो सकेगा। आज सर्वोच्च न्यायालय से एफसीए और एफआरए के मामले में हिमाचल को बड़ी राहत मिली है। सर्वोच्च न्यायालय ने राहत प्रदान करने को लेकर दायर अलग-अलग याचिकाओं की सुनवाई करते हुए हिमाचल में आधा दर्जन से अधिक पावर प्रोजेक्टों, 200 से अधिक सडक़ों, आधा दर्जन से अधिक ट्रांसमिशन लाइनों, हेलिपेड, स्कूल भवनों के साथ-साथ अस्पतालों व पेयजल योजनाओं के निर्माण को हरी झंडी दे दी है। इनमें से कई योजनाओं पर सर्वोच्च न्यायालय ने राइडर भी लगाया है।

प्रदेश में करीब 600 विकास प्रोजेक्ट एफसीए और एफआरए की वजह से शुरू नहीं हो पा रही है। राज्य सरकार इन्हें लेकर लगातार प्रयासरत थी। सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय में प्रदेश में एफसीए से जुड़े विभिन्न मामलों की सुनवाई हुई। सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, प्रदेश के महाधिवक्ता अशोक शर्मा व कोर्ट मित्र एडीएन राव ने इन मामलों में अदालत के समक्ष अपना पक्ष रखा।

मिली जानकारी के मुताबिक सर्वोच्च न्यायालय ने 3 हाईड्रो प्रोजेक्टों, एक आईआईटी, 27 सड़कों, मॉडल स्कूल व एक हाईब्रिड पावर प्रोजेक्ट व कार पार्किंग समेत 40 परियोजनाओं को निर्माण की हरी झंडी दे दी। इसके अलावा एक हेलिपेड, 37 सडक़ों, 4 ट्रासमिशन लाइनों, 2 एसटीपी, 5 पेयजल योजनाओं, 4 हाइड्रो प्रोजेक्टों समेत कुछ अन्य मामलों में न्यायालय ने राइडर लगाकर मंजूरी दी है। इन मामलों में डीएफओ आगे की कार्यवाही करेगा। इसके अलावा 49 स्कूल भवनों, 191 सडक़ों, 4 विद्युत सब स्टेशनों, 2 आंगनबाड़ी केंद्रों, 12 पेयजल योजनाओं समेत 289 अन्य प्रोजेक्टों को भी कोर्ट ने मंजूरी दी। 75 सडक़ों सहित 80 अन्य विकास कार्यों को भी कोर्ट ने राइडर लगाकर मंजूरी दी है। साथ ही 1377 करोड़ के ग्रीन कोरिडोर नेशनल हाई-वे और 61 करोड़ के दो-लेन नेशनल हाई-वे प्रोजेक्ट को भी कोर्ट ने रिकॉर्ड में ले लिया है। उ मीद है कि इन मामलों पर भी कोर्ट की तरफ से जल्द फैसला होगा।