उत्तराखंड से अधिक खतरा है हिमाचल में ग्लेशियरों के पिघलने से बनी झीलों से
शिमला, 8 फरवरी। पड़ोसी राजय उत्तराखंड की धौली गंगा नदी में ग्लेशियर के टूटने से आई बाढ़ से भले ही भारी तबाही हुई हो लेकिन हिमाचल को इस तरह की घटनाओं से उत्तराखंड से भी अधिक खतरा है। बढ़ते तापमान के कारण हो रहे जलवायु परिवर्तन से हिमाचल में ब्यास, सतलुज और चिनाब बेसिन के अलावा तिब्बत के क्षेत्र में ग्लेशियरों के पिघलने से लगातार नई झीलें बन रही हैं। ऐसे में हिमालय क्षेत्र में कोई भी भूगर्भीय हलचल होने की स्थिति में ये झीलें खासकर हिमाचल के लिए अत्यधिक घातक साबित हो सकती हैं। ग्लेशियरों से बनी ये झीलें इसलिए भी खतरनाक है क्योंकि उत्तराखंड की तुलना में हिमाचल में नदियों पर पनबिजली के लिए अधिक बांध बने हैं।
हिमाचल प्रदेश राज्य विज्ञान प्रौद्योगिकि व पर्यावर परिषद के संयुक्त सचिव निशांत ठाकुर के अनुसार जलवायु परिवर्तन के कारण हिमालय क्षेत्रों में झीलों का आकार लगातार बदल रहा है। हिमाचल में अकेले सतलुज बेसिन में ग्लेशियरों के पिघले से बनी 562 झीलें है। इनमें से 458 झीलें छोटी हैं जबकि 51 झीलों का आकार 10 हेक्टेयर से अधिक है। हिमालय क्षेत्र में स्थित दीपांग झील का आकार 90 हेक्टेयर से भी अधिक है। ये झील जनजातीय जिला लाहौल स्पिति के लिए बहुत बड़ा खतरा है। कई वैज्ञानिक अध्ययनों में साबित हुआ है कि इस झील का आकार लगातार बढ़ता जा रहा है और ग्लेशियरों के पिघलने में आई तेजी इसका प्रमुख कारण है।
राज्य विज्ञान प्रौद्योगिकि व पर्यावर परिषद के मुताबिक झीलों का आकार तेजी से बदल रहा है। उधर लाहौल स्पिति के चिनाब बेसिन में 242 झीलें हैं। इनमें से 52 झीलें चंद्रा बेसिन में, 84 झीलें भागा बेसिन में और 139 झीलें मयार बेसिन में हैं। इसी तरह ब्यास बेसिन में भी 93 झीलें हैं। इनमें 12 झीलें अपर ब्यास बेसिन में, 41 झीलें जीबा बेसिन में और 33 झीलें पार्वती बेसिन में हैं। परिषद के अध्ययन के मुताबिक 10 हेक्टेयर तक या इससे अधिक के आकार की झीलें संवेदनशील हैं। यही कारण है कि अब हिमाचल ग्लेशियरों से बनी इन झीलों से सहमा हुआ है।
पनबिजली परियोजनाएं स्थापित होने से पहले होगा ग्लेशियरों का अध्ययन
उत्तराखंड त्रासदी से सहमा हिमाचल अब राज्य में स्थापित होने वाली पनबिजली परियोजनाओं के जलग्रहण क्षेत्र में इन परियोजनाओं के निर्माण से पहले ग्लेशियरों का अध्ययन करवाएगा। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर आज पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में कहा कि उत्तराखंड की त्रासदी ने हिमाचल को भी चिंता में डाल दिया है क्योंकि प्रदेश में ग्लेशियरों के पिघलने से बनने वाली झीलों की संख्या काफी अधिक है। ऐसे में सरकार ग्लेशियरों से बनने वाली इन झीलों का अध्ययन करवाएगी ताकि किसी भी पनबिजली परियोजना को टूटने का खतरा न हो। उन्होंने ये भी कहा कि संकट की इस घड़ी में हिमाचल उत्तराखंड के साथ खड़ा है।