पर्यटन विकास निगम को मुख्यमंत्री की नसीहत

पर्यटन विकास निगम को मुख्यमंत्री की नसीहत

शिमला, 23 मार्च। हिमाचल प्रदेश पर्यटन राज्य होने के बावजूद प्रदेश के पर्यटन विकास निगम की खस्ता वित्तीय हालत किसी से छिपी नहीं है। निगम की ये स्थिति तब है जबकि इसके अधिकांश होटल राज्य के प्रमुख पर्यटक स्थलों पर स्थित हैं और ये होटल जहां पर्यटकों से भरे रहते हैं वहीं अधिकांश सरकारी मेहमान और कार्यक्रम भी इन्हीं होटलों में होते हैं। मतलब, इन होटलों को सारा साल कामधंधे की कोई कमी नहीं है बावजूद इसके महज दो-चार होटलों को छोड़कर बाकी सभी होटल घाटे में हैं। ऐसे में सरकार को अब निगम की कार्यशैली खटकने लगी है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने आज शिमला में राज्य पर्यटन विकास निगम निदेशक मंडल की बैठक में इसके संकेत भी दिए। मुख्यमंत्री ने पर्यटन विकास निगम को अपनी सभी इकाइयों को लाभप्रद बनाने के लिए अधिक सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने के अलावा लीक से हटकर सोचने की नसीहत दी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि निगम के होटलों के शुल्कों की समीक्षा की जानी चाहिए और आस-पास में स्थापित होटलों के शुल्कों की तुलना के बाद अपने शुल्क पुनर्निर्धारित करने चाहिए। उन्होंने कहा कि निगम को अपने मैन्यू से अनावश्यक व्यंजन निकालकर नए व्यंजन शामिल करने चाहिए। इससे ईर्द-गिर्द के रेस्तरां के साथ प्रतिस्पर्धा करने में सहायता मिलेगी।

जयराम ठाकुर ने कहा कि निगम के अधिकारियों को अन्य राज्यों की पर्यटन इकाइयों का भी अध्ययन करना चाहिए ताकि वांछित परिणाम हासिल किए जा सकें। उन्होंने कहा कि होटलों की ऑक्यूपेंसी 50 प्रतिशत तक बढ़ाने के प्रयास किए जाने चाहिए। कोविड महामारी के कारण निगम की सभी पर्यटन इकाइयों को काफी घाटा उठाना और इसके परिणामस्वरूप निगम ने पहली अप्रैल, 2020 से 28 फरवरी, 2021 तक 35.56 करोड़ रुपये का राजस्व एकत्रित किया है जबकि खर्च 73.76 करोड़ रुपये का रहा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए निगम की प्रमुख परिसंपत्तियों कुन्जुम, मनाली और होटल होलीडे होम, शिमला का जीर्णाद्धार किया जाना चाहिए। उपभोक्ताओं तक पहुंचने के लिए होटलों की प्रभावी मार्केटिंग पर बल दिया जाना चाहिए। ज्यादा पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए आधुनिक मीडिया का अधिक से अधिक उपयोग सुनिश्चित किया जाना चाहिए।

उन्होंने मापदंडों और लक्ष्यों को निर्धारित करने की आवश्यकता पर बल दिया जिससे उन्हें व्यावसायिक तरीके से हासिल किया जा सके और निगम की इकाइयों को आर्थिक रूप से लाभकारी बनाया जा सके।