हिमाचल हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला

हिमाचल हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला
अनुकंपा के आधार पर नौकरी देने में एफआईआर नहीं आएगी आड़े
शिमला, 11 अगस्त।
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण व्यवस्था देते हुए स्पष्ट किया है कि अनुकंपा आधार पर नियुक्ति देने को एफआईआर लंबित होने के आधार पर अस्वीकार नहीं किया जा सकता।
न्यायाधीश संदीप शर्मा ने याचिकाकर्ता योग राज की याचिका को स्वीकारते हुए यह व्यवस्था दी है। मामले के अनुसार याचिकाकर्ता के पिता प्रारंभिक शिक्षा विभाग में जेबीटी के रूप में कार्यरत थे। 21 अक्तूबर 2009 को सेवाकाल के दौरान अपने परिवार के आठ सदस्यों को छोड़कर मर गए। 26 फरवरी 2021 को सरकार ने अनुकंपा के आधार पर श्रेणी-III के पद पर नियुक्ति के लिए याचिकाकर्ता के नाम को मंजूरी दे दी थी। लेकिन आज तक कोई नियुक्ति पत्र जारी नहीं किया गया और उसे अज्ञात कारणों से नियुक्ति देने से इनकार कर दिया गया। अतः याचिकाकर्ता को न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ा। सरकार ने याचिका का उत्तर दाखिल करते हुए अपना बचाव प्रस्तुत किया  कि चूँकि याचिकाकर्ता के विरुद्ध धारा भारतीय दंड संहिता की धारा 323 और 325  के तहत एफआईआर दर्ज है, इसलिए उसे नियुक्ति पत्र जारी नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने इस दलील को अस्वीकार करते हुए कहा कि इस मामले में याचिकाकर्ता का कथित अपराध अभियोजन पक्ष द्वारा अभी तक ठोस साक्ष्य प्रस्तुत करके सिद्ध नहीं किया गया है। न तो रिकॉर्ड में ऐसा कुछ है जो यह दर्शाता हो कि याचिकाकर्ता ने अपने विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने के संबंध में कभी तथ्य छिपाए हों और न ही प्रतिवादियों के पास ऐसा कोई दस्तावेज है, जो इस तथ्य का संकेत देता हो कि याचिकाकर्ता को अपने विरुद्ध लंबित कथित आपराधिक मामले के संबंध में प्रतिवादियों को जानकारी भेजनी थी।
कोर्ट ने याचिका स्वीकारते हुए प्रतिवादियों को निर्देश दिया कि वे सक्षम प्राधिकारी द्वारा दिए गए अनुमोदन के आधार पर, वरिष्ठता के अनुसार, शीघ्रता से चार सप्ताह के भीतर याचिकाकर्ता को अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति पत्र जारी करें। कोर्ट ने कानूनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि जब तक
आरोपी के खिलाफ आरोप तय नहीं हो जाते और उसे सक्षम न्यायालय द्वारा दोषी नहीं ठहराया जाता, तब तक उसे निर्दोष माना जाएगा। इसलिए केवल एफआईआर लंबित होने के आधार पर नियुक्ति से इनकार नहीं किया जा सकता। हालांकि याचिकाकर्ता का सेवा में बने रहना अंततः उसके खिलाफ दर्ज एफआईआर के अनुसरण में शुरू किए गए आपराधिक मुकदमे के परिणाम पर निर्भर करेगा।