हिमाचल की पहाड़ी गाय गौरी के संवर्धन के लिए 4.64 करोड़ रुपये का प्रोजैक्ट मंजूर

हिमाचल की पहाड़ी गाय गौरी के संवर्धन के लिए 4.64 करोड़ रुपये का प्रोजैक्ट मंजूर

स्टेट वेटरिनरी काउंसिंल के जोनल सैमिनार में पशुपालन मंत्री ने दी जानकारी

शिमला, 21 मार्च। ग्रामीण विकास, पंचायती राज व पशुपालन मंत्री वीरेन्द्र कंवर ने कहा है कि हिमाचल की पहाड़ी गाय गौरी के संवर्धन के लिए केन्द्र सरकार ने 4.64 करोड़ रुपये की परियोजना को स्वीकृति प्रदान की है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पहाड़ी गाय पर अनुसंधान कर इनकी नसल में सुधार करेगी जिसके लिए एक रिसर्च सेंटर स्थापित किया जाएगा। इसके लिए जगह चयनित करने की प्रक्रिया शुरु कर दी गई है। उन्होंने कहा कि इस सेंटर के खुलने से जहां पहाड़ी गाय पर शोध होगा वहीं प्रदेश के बेरोजगार युवाओं को रोजगार के अवसर भी प्रदान किए जाएंगे। वीरेन्द्र कंवर ने कहा कि हिमाचल की पहाड़ी गाय को गौरी नाम दिया गया है तथा पशुपालन विभाग के माध्यम से गौरी के संरक्षण और नसल सुधार पर कार्य किया जाएगा। यह बात पशुपालन मंत्री वीरेन्द्र कंवर ने बंगाणा में आयोजित हिमाचल प्रदेश राज्य वेटरिनरी काउंसिल के सैमिनार में कही।

वीरेन्द्र कंवर ने कहा कि प्रदेश सरकार बेसहारा गौवंश के पुनर्वास तथा प्रदेश की सड़कों को पशुमुक्त बनाने के लिए भरसक प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के गौ सदनों में 16500 बेसहारा गौवंश को आश्रय प्रदान किया गया है तथा प्रदेश सरकार ने मार्च 2022 तक प्रदेश की सड़कों को बेसहारा पशुमुक्त करने का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रदेश में गौ अभ्यारणयों का निर्माण हो रहा है तथा मौजूदा गौसदनों का भी विस्तार किया जा रहा है। पशुपालन मंत्री ने कहा कि अपने पशुओं को सड़क पर छोड़ने वालों के विरुद्ध कड़े कानूनी नियम बनाए जा रहे हैं। सरकार पशु छोड़ने पर जुर्माना करने का अधिकार ग्राम पंचायत प्रधान की बजाय पशु चिकित्सा अधिकारी को प्रदान करने पर विचार कर रही है। उन्होंने कहा कि बेसहारा पशुओं की समस्या को खत्म करने के लिए प्रदेश सरकार पशुपालन विभाग के माध्यम से सैक्स सोर्टिड सीमन उपलब्ध करवा रही है। इन टीकों के माध्यम से 99 प्रतिशत बछड़ियां ही पैदा होंगी। पशुपालन मंत्री ने विभाग को निर्देश दिए कि यह टीके जिला मुख्यालयों पर उपलब्ध करवाए जाएं। उन्होंने कहा कि पशुपालन विभाग को सुदृढ़ और जनजातीय क्षेत्रों में विभाग के खाली पदों को भरने का प्रयास हो रहा है। उन्होंने अधिकारियों से अपील की कि वे अपनी कार्य प्रणाली को और अधिक बेहतर बनाएं ताकि पशुपालकों को हर योजना की जानकारी व लाभ मिल सके।

वीरेन्द्र कंवर ने कहा कि जापान सरकार की मदद से जायका-2 परियोजना हिमाचल प्रदेश में लागू होने वाली है। इस परियोजना के तहत न केवल किसान के खेतों तक पानी पहुंचाया जाएगा बल्कि डेयरी व मत्स्य पालन की गतिविधियों को भी शामिल किया जाएगा ताकि पानी उपलब्ध होने के बाद किसान अन्य गतिविविधियों में भी शामिल होकर मुनाफा कमा सकें। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में छोटे किसानों की संख्या बहुत अधिक है। ऐसे में मिश्रित किसानी, पशुपालन मत्स्य पालन जैसी गतिविधियां किसानों की आय को बढ़ाने में सहायक सिद्ध हो सकती हैं।