वाइल्ड फ्लावर हॉल पर 30 साल बाद हिमाचल का कब्जा
वाइल्ड फ्लावर हॉल प्राप्त होगी 401 करोड़ की राशि
हाईकोर्ट के फैसले से राज्य बना एमआरएल का एकमात्र मालिक
शिमला, 15 अक्तूबर।
हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार को एक और कानूनी लड़ाई में बड़ी व ऐतिहासिक सफलता मिली है। शिमला के मशोबरा स्थित बहुचर्चित वाइल्ड फ्लावर हॉल संपत्ति से राज्य को अब 401 करोड़ रुपये की राशि प्राप्त होगी और सरकार इस संपत्ति की संयुक्त उद्यम कंपनी मशोबरा रिजॉर्ट लिमिटेड (एमआरएल) की एकमात्र मालिक बन जाएगी।
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने आदेश में साफ कर दिया कि एमआरएल के बैंक खातों में जमा 320 करोड़ रुपये, 13 करोड़ की शेयर होल्डिंग और 25 करोड़ रुपये की मध्यस्थता राशि राज्य सरकार को हस्तांतरित की जाए। इसके अलावा ईस्ट इंडिया होटल्स (ईआईएच)द्वारा कंपनी में डाली गई 136 करोड़ की पूंजी में से केवल 50 प्रतिशत यानी 68 करोड़ रुपये ही उसे वापस मिलेंगे जिससे राज्य को सीधे तौर पर 68 करोड़ रुपये का लाभ होगा।
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तीन दशक पुरानी लड़ाई का सुखद अंत
यह मामला लगभग 30 वर्षों से न्यायालय में लंबित था। ईआईएच और राज्य सरकार की संयुक्त उद्यम कंपनी एमआरएल वाइल्ड फ्लावर हॉल का संचालन करती थी ,लेकिन राज्य को इससे कोई आर्थिक लाभ नहीं मिल रहा था। मौजूदा कांग्रेस सरकार के प्रयासों और हस्तक्षेप से सर्वोच्च न्यायालय ने 20 फरवरी 2024 को संपत्ति का स्वामित्व राज्य के पक्ष में दे दिया था। इसके बाद सरकार ने 31 मार्च 2025 को इसका भौतिक कब्जा भी हासिल कर लिया।
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देश के प्रमुख वकीलों से लड़ी गई कानूनी लड़ाई
राज्य सरकार ने इस मुकदमे को मजबूती से लड़ने के लिए देश के नामी वकीलों की मदद ली और अंतत: प्रदेश के हित में जीत दर्ज की। एक सरकारी प्रवक्ता ने शिमला में कहा कि यह जीत केवल संपत्ति पर नहीं बल्कि राज्य के आर्थिक हितों पर भी है।
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मुख्यमंत्री सुक्खू ने जताई खुशी
मुख्यमंत्री सुक्खू ने इस फैसले पर प्रसन्नता जताते हुए कहा कि यह जनता की जीत है। उन्होंने दोहराया कि राज्य सरकार हिमाचल के हितों की रक्षा के लिए किसी भी स्तर पर समझौता नहीं करेगी और ऐसे प्रयास भविष्य में भी जारी रहेंगे।