हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव महेश्वर सिंह चौहान ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी में शीत-युद्ध छिड़ा हुआ है और अब इनकी लड़ाई सड़कों पर आ गयी है।संगठन और सरकार की इस जंग में भाजपा विधायक के पुतले तक जला दिए गए।प्रदेश सरकार और भाजपा आपसी कलह में इतनी मसरूफ है की उनका ध्यान पूरी तरह से करोना और विकास कार्यों से हट चुका है जिसका नुक़सान आम जनता को हो रहा है।उन्होंने भाजपा और प्रदेश सरकार पर आरोप लगाते हुय कहा की हिमाचलवासियों के साथ 65 हजार करोड़ के 70 हाई-वे के नाम पर हुए सबसे बड़े धोखे पर क्यों चुपी साध ली है? हिमाचल प्रदेश सरकार ने पूरे प्रदेश को अव्यवस्था के आलम में डूबो दिया है और कोरोना काल में इस प्रदेश के अन्दर स्वास्थ्य घोटालों के संबंध में भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रेम कुमार धूमल ने इसे देशद्रोह के बराबर बताया है और भाजपा के पूर्व मुख्य मंत्री शांता कुमार ने इसे महापाप की संज्ञा दी। तब भी भारतीय जनता पार्टी इस अति संवेदनशील एवं शर्ममनाक विषय पर भी बेशर्मी से सामना करने का मन बनाया और पूरी सरकार के मंत्री और भाजपा के नेता जिलावार इस स्वास्थ्य घोटाले पर सराकर का बचाव करने के लिए उतर गए। परंतु हिमाचल प्रदेश के हितों के साथ इतना बड़ा कुठाराघात हुआ है जिसे प्रदेश की जनता कभी माफ नहीं करेगी और इसका खुलासा स्वयं केन्द्र सरकार के सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने अपने वक्तव्य में कह दिया। परंतु अब इस मामले पर हिमाचल प्रदेश सरकार क्यों खामोश है? सरकार को हिमाचल प्रदेश की जनता से सार्वजनिक रूप से क्षमा मांगनी चाहिए और इस मामले में सरकार और भाजपा को अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।
भारतीय जनता पार्टी ने हिमाचल प्रदेश के अन्दर विधान सभा और लोकसभा चुनावों में इस मुद्दे को जमकर भुनाया ही नहीं अपितु सारी-की-सारी भारतीय जनता पार्टी का चुनाव प्रचार 65 हजार करोड़ रुपए के 70 नेशनल हाई-वे के इर्द-गिर्द घूमता रहा और हिमाचल प्रदेश की भोली-भाली जनता को इन हाई-वेज के नाम पर गुमराह करके जनादेश प्राप्त किया। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी इस विपदा के समय में भी सिर्फ और सिर्फ राजनीति कर रही है। जहां आज केन्द्र और प्रदेश की सरकारों का ध्यान कोरोना से निपटने के लिए केन्द्रित होना चाहिए था वहीं भाजपा देश के अन्दर चुनावों की तैयारी में जुट गई है और वर्चुअल रैलियों के माध्यम से पुन: लोगों को गुमराह करने का प्रयत्न किया जा रहा है। हिमाचल प्रदेश में भी इन रैलियों का सिलसिला आरम्भ हो चुका है जबकि अन्य विकास कार्यों के प्रति हिमाचल प्रदेश में सरकार गम्भीरता नहीं दिखा रही व पूरा विकास ठप्प पड़ा है। जनता से जुड़े हुए मसलों को हल करने के बजाय अब हिमाचल में भी भाजपा ने राजनीतिक कार्यक्रम आरम्भ कर दिए हैं और प्रदेश की जो मूलभूत समस्याएं हैं उनसे सरकार को कोई सरोकार नहीं है। जिस तरह से भाजपा ने पिछले दो चुनावों में झूठ के सहारे जीत हासिल की है, आज प्रदेशवासी अपने आपको ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं और भाजपा के इस विश्वासघात का जवाब प्रदेश की जनता आने वाले विधान सभा चुनावों में देगी।