शिमला, 6 अप्रैल। चंडीगढ़ में ब्रिटिश उप-उच्चायुक्त कैरोलीन रोवेट ने आज राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय से राजभवन शिमला में भेंट की। राज्यपाल ने आपसी सहयोग से सम्बन्धित विभिन्न विषयों पर चर्चा की और कहा कि हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला का विशेष रूप से ब्रिटिश इतिहास से गहरा संबंध है। ब्रिटिशकाल की इमारतें और समग्र गठन अभी भी इंग्लैंड के शहर की झलक दिखाता है। उन्होंने कहा कि हम न केवल सांस्कृतिक आदान-प्रदान बल्कि शिक्षा, विशेष रूप से परिवहन, अपशिष्ट प्रबंधन, शहरी विकास, पर्यटन और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे विभिन्न क्षेत्रों के कौशल विकास में आपसी सहयोग के साथ काम कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने जिला सोलन में पर्यटन और आतिथ्य सत्कार तथा सूचना प्रौद्योगिकी के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की आधारशिला रखी है। यह केन्द्र पर्यटन और आतिथ्य सत्कार क्षेत्र के लिए सशक्त और प्रशिक्षित श्रमशक्ति प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि इस सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में एक सूचना प्रौद्योगिकी केन्द्र, पर्यटन और आतिथ्य सत्कार के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस, होटल प्रशिक्षण, शिक्षण स्टाफ आवास, विद्यार्थियों के लिए छात्रावास, स्टाफ क्वार्टर और निदेशक के लिए आवासीय सुविधा उपलब्ध होगी। प्रदेश सरकार को इस तरह के अन्य केन्द्र खोलने के लिए ब्रिटिश सरकार के सहयोग की आवश्यकता होगी।
दत्तात्रेय ने ब्रिटिश सरकार के वैश्विक छात्रवृति कार्यक्रम शैवनिंग पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम विद्यार्थियों को ब्रिटेन में अध्ययन करने का विशेष अवसर प्रदान करेगा। उन्होंने ब्रिटिश विश्वविद्यालयों और हिमाचल प्रदेश के विश्वविद्यालयों के मध्य स्टडी एक्सचेंज कार्यक्रमों पर विशेष बल दिया।
कैरोलीन रोवेट ने विभिन्न क्षेत्रों में आपसी समन्वय के साथ काम करने की इच्छा व्यक्त की और रूचिकर क्षेत्रों में नवीनतम जानकारी सांझा करने में सभी प्रकार से सहयोग देने का आश्वासन दिया। उन्होंने राज्यपाल को शैवनिंग छात्रवृति कार्यक्रम के बारे में भी जानकारी दी और कहा कि ब्रिटेन के किसी भी विश्वविद्यालय में किसी भी विषय में एक साल की मास्टर डिग्री करने के लिए विश्वभर के उत्कृष्ट पेशेवरों को छात्रवृति प्रदान की जाएगी। उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह से वित्तपोषित छात्रवृति प्रदान करता है, जिससे आप अपने शैक्षणिक लक्ष्यों को प्राप्त करने तथा जीवन के एक ज्ञानवर्धक अनुभव के लिए केन्द्रित होते हैं।
उन्होंने कहा कि इस छात्रवृति कार्यक्रम के अन्तर्गत व्यक्ति ब्रिटेन में एक वर्ष के लिए अध्ययन कर सकता है और इस दौरान वह व्यवसायिक और शैक्षणिक रूप से विकसित हो सकता है। इसके अतिरिक्त वह ब्रिटेन की संस्कृति को समझ कर ब्रिटेन में सकारात्मक सम्बन्ध स्थापित कर सकता है।