शिमला. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के मंत्रीमंडल में फेरबदल के बाद लगातार अधिकारियों के तबादले हो रहे हैं। सचिव स्तर के अधिकारियों के तबादलों के बाद सरकार ने जिला उपायुक्तों के साथ डायरेक्टरों के पदों पर नए अधिकारियों की तैनाती की है। सरकार ने एक साथ 7 जिलों के डीसी के साथ 22 आईएएस अधिकारियों के तबादले कर दिए है। अब सरकार प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्रों में लंबे समय से जमे अधिकारियों और कर्मचारियों के तबादले करने की तैयारी में हैं। प्रदेश के सोलन जिले के बीबीएन, सिरमौर के कालाअंब और ऊना जिले के हटलीवाल सहित प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र में लंबे समय से अधिकारियों के तबादले हो सकते हैं। सभी औद्योगिक क्षेत्रों में उद्योग विभाग, श्रम विभाग, पॉल्यूशन विभाग, आबकारी विभाग और स्वास्थ्य विभाग के ड्रग कंट्रोलर और इंस्पेक्टर तैनात होते हैं। सरकार ने इनवेस्टर मीट के समय निवेशकों को भरोसा दिलाया था कि सभी को इंस्पेक्टरी राज से मुक्ति दिलाई जाएगी। जिसके तहत ही सरकार अब अधिकारियों और कर्मचारियों के तबादले कर नए व्यवस्था कायम करने जा रही है। ऐसा माना जाता है कि जब अधिकारी किसी भी स्थान पर लंबे समय से जमे रहते हैं तो व्यवस्था पर सवाल उठने लगते हैं। वैसे भी औद्योगिक क्षेत्र में तैनात अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं और कई दफा यह मामले सामने भी आए हैं। औद्योगिक क्षेत्रों में लंबे समय तैनात रहने वाले अधिकारियों की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में आ जाती है और फिर सरकार पर सवाल उठने लगते हैं। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस का दाबा करते हैं, जिसके कारण ही सरकार अब औद्योगिक क्षेत्रों में लंबे समय से तैनात सभी विभागों के अधिकारियों के तबादले करने की तैयारी में नजर आ रही है। इन क्षेत्रों में तैनात अधिकारियों के बारे में सरकार के पास भी कई शिकायतें पहुंची हैं।
हमेशा ऐसा माना जाता है कि औद्योगिक क्षेत्रों में वहीं अधिकारी तैनात होते हैं जिनके सरकार के साथ बेहतर संबंध होते हैं। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी सरकार बनने के बाद औद्योगिक क्षेत्र में तैनात अधिकारियों के बड़े पैमाने पर फेरबदल किया था। जिसमें सबसे प्रमुख बीबीएन में तैनात ड्रग कंट्रोलर का तबादला कर नए अधिकारी की तैनाती की थी। इसके साथ ही प्रदेश के कई असिस्टेंट ड्रग कंट्रोलर और इंस्पेक्टर भी बदले थे। इसी प्रकार पॉल्यूशन बोर्ड के अधिकारी और कर्मचारियों का भी तबादला प्रदेश स्तर पर किया गया था। सरकार के ध्यान में यह भी आया है कि औद्योगिक क्षेत्र में बहुत से अधिकारी व कर्मचारी 4 से 5 साल से अधिक समय से जमे हुए हैं। सरकार बदलने पर भी उनका ट्रांसफर नहीं किया गया। जिसमें प्रमुख रुप से उद्योग विभाग और श्रम विभाग के अधिकारी शामिल है। इस कारण सरकार अब इनवेस्टर मीट के तहत आने वाले उद्योग पतियों और ड्रग पार्क में इन्वेस्ट करने वाले उद्योगपतियों को इंस्पेटरी राज खत्म फ्रेंडली प्रशासनिक माहौल देना चाहती है। जिसके लिए ही सरकार अधिकारियों के तबादले करने की तैयारी कर रही है।
सरकार पर पास ऐसी शिकायतें हमेशा से आती रहीं हैं कि औद्योगिक क्षेत्रों में बहुत से लाइजनिंग अफसर उद्योगपतियों के लिए कार्य करते हैं जो सरकारी विभागों के अधिकारियों से मिलीभगत कर उद्योगपतियों के काम कराते हैं। औद्योगिक क्षेत्रों में लाइजनिंग अफसरों के माध्यम से काम कराने की परंपरा से सरकारी सिस्टम में बहुत भ्रष्टाचार होता है। जिसकी शिकायतें सरकार और संबंधित विभाग के अधिकारियों को समय समय पर मिली हैं और मीडिया के माध्यम से भी उजाकर हुईं हैं। सरकार चाहती है कि उद्योगपतियों और सरकार के सभी विभागों के अधिकारियों के साथ सीधे संबंध हों और फ्रेंडली माहौल में काम हो, जिससे बिना किसी दलाल के माध्यम से उद्योगपतियों के काम हों और सरकार की छवि खराब न हो। इस कारण सरकार अब शीघ्र ही अधिकारियों और कर्मचारियों के तबादला करने की तैयारी में दिख रही है। अब देखना है कि सरकार कब इन तबादलों पर अंतिम मुहर लगाती है।